हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा में ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी स्टेशन स्थापित किया जाएगा। इसके लिए सीएम की उपस्थिति में जिला प्रशासन और एनएचपीसी लिमिडेट के बीच एमओयू साइन हुआ। ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी स्टेशन स्थापित होने से गाड़ियों में लिक्विड फ्यूल की जरूरत ज्यादा नहीं रहेगी। यानी साफ लहजे में कहें तो पर्यावरण की दृष्टि से ग्रीन हाइड्रोजन को गाड़ियों में इस्तेमाल किया जाएगा जो काफी फायदेमंद रहेगा और प्रदेश में परिवहन की दृष्टि से एक नई पहले भी होगी।
इस मौके पर सीएम जयराम ठाकुर ने बताया कि लगभग 200 एकड़ क्षेत्र में 300 किलोवॉट का ग्रिड कनेक्टेड ग्राउंड माउंटेड सोलर पीवी प्लांट स्थापित किया जाएगा। इस प्लांट से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा का इस्तेमाल इलेक्ट्रोलाइजर में हाइड्रोजन के उत्पादन में होगा। एनएचपीसी के सहयोग से राज्य सरकार की यह पहल एक मील का पत्थर साबित होगी।
क्या बोले NHPC के अधिकारी?
परियोजना के बारे में जानकारी देते हुए एनएचपीसी के समूह महाप्रबंधक एस. के. संधू ने कहा कि यह परियोजना एनएचपीसी के अध्यक्ष ए.के. सिंह की पहल है। इसके अन्तर्गत उत्पादित हाइड्रोजन को 20 किलोग्राम क्षमता वाली बस या कार आदि के ईंधन टैंक में संग्रहित किया जाएगा और यह हाइड्रोजन मुख्य ईंजन में लगे हाइड्रोजन ईंधन सेल में जाएगा। एक किलोग्राम हाइड्रोजन ईंधन के उत्पादन के लिए 9 से 12 लीटर पानी का उपयोग होगा।
उन्होंने कहा कि इस ऊर्जा का उपयोग चंबा के स्थानीय क्षेत्र में किया जाएगा। साथ ही उन्होंने दावा किया कि इसमें 20 किलोग्राम ईंधन टैंक के साथ लगातार 8 घंटे या 200 किलोमीटर तक बस सफर तय हो सकेगा। इसके लिए एनएचपीसी इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत एक 32+1 सीटर बस भी उपलब्ध करवाएगी, जो कार्बन का शून्य उत्सर्जन करेगी और क्षेत्र की परिवहन सुविधाओं में सुधार करेगी।
क्या है ग्रीन हाइड्रोजन और कैसे बनती है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब पानी से बिजली गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल बहुत सारी चीजों को पावर देने में होता है। अगर हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली किसी रिन्यूएबल सोर्स से आती है, मतलब ऐसे सोर्स से आती है जिसमें बिजली बनाने में प्रदूषण नहीं होता है तो इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।