राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की पहल पर राजभवन के कर्मियों के लिए संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर 20 दिनों तक चलेगा जिसमें कर्मियों को संस्कृति भाषा का प्रारम्भिक ज्ञान और इसके बोलचाल मे उपयोग को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह संभाषण शिविर संस्कृत भारती के माध्यम से दिया जा रहा है।
राज्यपाल ने पिछले साल 26 फरवरी को कांगड़ा में संस्कृत भारती हिमाचल प्रदेश द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम मे घोषणा की थी कि संस्कृत भाषा के प्रचार और संभाषण के लिए राजभवन में प्रकोष्ठ स्थापित किया जाएगा और राजभवन के कर्मियों को इस बाबत प्रशिक्षण दिया जाएगा।
राजभवन में आज आयोजित संस्कृत संभाषण शिविर इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओं में संस्कृत के अक्षरों का उपयोग मिलता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारत की भाषा थी, जिसे ‘देववाणी’ कहा गया जो वास्तक में ‘जनवाणी’ थी। उन्होंने कहा कि यह संस्कारमय भाषा है, जिसे फिर से व्यवहार में लाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में संस्कृत को दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। इसलिए इसे राज्य में पुर्नस्थापित करने की आवश्यकता है।