शिमला के रिज मैदान के नीचे अंग्रेजों के जमाने में बने पानी के टैंक की दीवारों पर दरारें पड़ चुकी हैं। टैंक में 6 चैंबर हैं, जो आपस में जुड़े हुए हैं। सफाई के दौरान 2 चैंबर्स की दीवारों पर दरारें मिली हैं। ये दरारें टैंक की छत पर महात्मा गांधी की प्रतिमा के नजदीक पाई गई हैं।
रिज मैदान के नीचे बने इस टैंक की भंडारण क्षमता 45 लाख लीटर है। टैंक से आज भी शिमला शहर को सप्लाई की जाती है। अंग्रेजों ने आजादी से पहले इस टैंक को बनाया था। टैंक बनाने के लिए तांबे का भी इस्तेमाल किया गया था। टैंक में दरार आने से रिज मैदान और पानी के टैंक के अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। टैंक के चारों ओर मोटी दीवार है। लेकिन ये टैंक 100 साल से भी पुराना है।
सफाई के दौरान चला दरार का पता
मेयर कुसुम सदरेट ने भी सफाई अभियान के दौरान टैंक का जायजा लिया। वहीं, माकपा ने कहा है कि शिमला नगर निगम के पूर्व उप मेयर टिकेंद्र सिंह पंवर ने इस मसले को बार बार उठाया था। हर बार कांग्रेस और बीजेपी सरकारों ने इसे राजनैतिक बयान मान कर ख़ारिज किया है। रिज पर सेंकडों लोग प्रतिदिन आते जाते हैं, और एंबुलेंस और सरकारी गाड़ी भी इस पर आती है। निगम ने पहले भी टैंकों पर हो रहे नुकसान के बारे में सरकार को बताया था।