उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित विश्व के सात आश्चर्यों में से एक ताजमहल को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। यहां कथित तौर पर भगवा कपड़ों और धर्म दंड की वजह से जगद्गुरु परमहंसाचार्य को ताजमहल में जाने से रोक दिया गया।
अयोध्या छावनी के रहने वाले संत जगद्गुरु परमहंसाचार्य अपने तीन शिष्यों के साथ ताज देखने पहुंचे तो यूपी पुलिस के जवानों ने पूरे सत्कार के साथ उन्हें ताज के प्रवेश द्वार तक जाने वाली गोल्फ कार्ट में बैठाया, लेकिन प्रवेश द्वार पर मौजूद केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवानों ने उनके साथ बेरुखी अपनाई।
बताया जाता है कि संत जगद्गुरु परमहंसाचार्य अपने शिष्यों के साथ अलीगढ़ के एक भक्त परिवार से मिलने आए थे। वहां से चलकर वे ताजमहल देखने आए। उनके साथ सरकारी गनर भी थे। उनके शिष्य ने बताया कि श्मशानघाट चौराहे से जब वे ताजमहल के लिए निकले तो वहां मौजूद पुलिस कर्मियों ने परिचय जानकर उन्हें गोल्फ कार्ट में बैठाकर पश्चिमी गेट भेजा।
शाम करीब साढ़े पांच बजे संत अपने शिष्यों के साथ ताजमहल में प्रवेश करने लगे तो वहां मौजूद सीआईएसएफ और अन्य कर्मचारियों ने उन्हें रोक दिया। उनके भगवा पहने होने के कारण प्रवेश न देने की बात कही गई और उनके टिकट लेकर अन्य पर्यटकों को बेच दिए गए। उनका पैसा लौटा कर वापस भेज दिया गया। आरोप है कि उनके शिष्य ने जब फोटो खींचने का प्रयास किया तो मोबाइल फोन छीन कर फोटो डिलीट कर दिए गए।
जगद्गुरु परमहंसाचार्य के शिष्य ने कहा कि ताजमहल पर भगवा को भी प्रवेश मिलना चाहिए और जो लोग दोषी हैं, जांच कर उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद आर के पटेल ने कहा कि भगवा कपड़े पहने व्यक्ति को सीआईएसएफ ने रोका था और इसका कारण यह था कि वे अपने साथ लोहे का एक डंडा लिए थे। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें डंडा वहीं रख कर जाने को कहा, पर वे तैयार नहीं हुए। ताजमहल पर किसी भी तरह का प्रचार प्रतिबंधित है। धार्मिक वेशभूषा जैसे टोपी, कुछ लिखे अंगवस्त्रत्त् व किसी भी जगह की वेशभूषा पर रोक नहीं है, इसके बावजूद कई मामले ऐसे आ चुके हैं।