डेस्क। 2022-23 के बजट सत्र के बीच ‘जोइया मामा’ का नारा काफी चर्चाओं में रहा। इस नारे को लेकर बवाल इतना बढ़ गया कि सिरमौर के कुछ कर्मचारियों पर विभागीय कार्रवाई हुई तो कइयों पर केस दर्ज हुए। लेकिन वो धारणा है न कि जब चुनाव सिर पर हो तो राजनेता कुछ भी कहने-सुनने-पलटने-मानने को तैयार हो जाते हैं। कुछ इसी तरह अभीव्यक्ति मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करते दिखाई दे रहे हैं। एक वक़्त में जोइया मामा से सीएम ऐसे नाराज हुए थे कि कर्मचारियों पर कार्रवाई की गाज गिरा दी। लेकिन आज मुख्यमंत्री खुद को मामा कहलाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
दरअसल, गुरुवार को मुख्यमंत्री ने सिरमौर के हरिपुरधार में एक मेले के समापन समारोह में संबोधन दिया। दैनिक अख़बार के मुताबिक, उन्होंने कहा कि ‘मुझे ठाकुर मामा कहा गया, तो मैं आपके बीच उपस्थित हूं। कांग्रेसी मित्र बहुत परेशान है कि इस मामा ने कुछ भी काम करने को नहीं छोड़ा है। उन्होंने सिरमौरी अंदाज में कहा कि मामा यहां पर आए हैं, तो भांजे और भांजी भी खुश होंगे जिस पर पंडाल बैठे हजारों लोगों ने जमकर तालियां बजाई।
उन्होंने आगे कहा कि दुश्वारियां भी इस गरीब ‘जयराम मामा’ के टाइम में ही आई। इससे पहले प्रदेश में 5 मुख्यमंत्री रहे, तब कोविड-19 जैसी कोई त्रासदी नहीं आई। कोविड के चलते 2 साल तक मामा और भांजे सभी घरों में रहने को मजबूर हो गए।’
इस संबोधन में मुख्यमंत्री ने कई दफा खुद को ‘मामा’ शब्द से पुकारा। लेकिन सवाल सिर्फ इतना है कि अगर वाकेई में मुख्यमंत्री को इस नारे या शब्द से खीज नहीं थी तो फिर क्यों सिरमौर के कुछ कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। हालांकि साफ नज़र जरूर आता है कि इस साल चुनाव हैं और सिरमौर के ही कर्मियों ने उनकी भाषा में ये नारा या शब्द दिया था। इस लिहाज से अब जब मुख्यमंत्री महोदय उन्हीं के क्षेत्र का दौरा करने पहुंचे तो पुरानी बातों को भूलाने और खुद को मामा मानने का पैंतरा खेल कर मजमा लूट आए।