शिमला के बहुचर्चित युग अपहरण और हत्याकांड में सोमवार को तीनों आरोपियों को जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह की कोर्ट में पेश किया गया। आरोपियों के वकील के पेश न होने के चलते कोर्ट ने मामले की सुनवाई 27 नवंबर तक के लिए टाल दी है। बता दें कि युग अपहरण और हत्या का ये मामला जून 2014 में पहले पुलिस के पास था। करीब 9 -10 महीने के बाद केस जांच के लिए सीआईडी क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था।
2 साल बाद CID ने पकड़े थे आरोपी
करीब 10 महीने के बाद केस जांच के लिए सीआईडी क्राइम ब्रांच को सौंपा गया। CID ने दो साल बाद 14 जून 2016 को इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया था। बाद में सीआईडी ने एक अन्य आरोपी धरा गया। उसने ही सीआईडी को शव टैंक में फेंकने की बात बताई थी। डीआईजी विनोद धवन के मार्गदर्शन में स्पेशल टीम ने केस की गुत्थी सुलझाई।
14 जून 2014 को हुआ था अपहरण
शिमला के रामबाजार के 4 साल के युग का अपहरण 14 जून 2014 को हुआ था। अपहरण के सात दिनों के अंदर उसे मार दिया गया और शव भराड़ी स्थित पेयजल टैंक में फेंका गया था। 22 अगस्त 2016 को सीआईडी क्राइम ब्रांच ने भराड़ी में एमसी के पेयजल टैंक से युग की हड्डियां बरामद की। हत्या के आरोपी विक्रांत की निशानदेही पर ये हड्डियां बरामद की गई थी।
विक्रांत के अलावा मामले में मुख्य आरोपी चंद्र शर्मा और तेजेंद्र पाल आरोपी हैं। आरोपियों के खिलाफ सुबूत जुटाने के बाद क्राइम ब्रांच ने 25 अक्टूबर 2016 को कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।