एक तरफ सरकार जंगलों को हरा-भरा रखने और बचाने के लिए वृक्षारोपण पर करोड़ों रूपये खर्च कर कई योजनाओं का संचालन कर रही है। वहीं, हर साल जंगलों में लगने वाले आग से पेड़ों को बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं होता। इससे हर साल हजारों पेड़ जलकर नष्ट हो रहें है। इधर, कांगड़ा के परौर में सड़क किनारे जंगल में लगी आग और भयावह होते जा रही है। आग का दायरा बढ़ता जा रहा है लेकिन काफी देर से लगी आग को बुझाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है और न ही वन विभाग को किसी ने भी आगजनी की सूचना दी है।
जहां एक ओर जंगल में लगी आग से हजारों छोटे-बड़े पेड़ जलकर नष्ट हो रहें है। वहीं, दूसरी ओर जंगली जीव जंतुओं पर भी खतरा उत्पन्न हो गया है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार प्रत्येक वर्ष पतझड़ व गर्मीं का मौसम शुरू होते ही क्षेत्र के जंगलों में आग लग जाती है। इसमें कई नए व अन्य पेड़ जलकर नष्ट हो जाते है।
हरा-भरा जंगल हुआ काले जंगल में तब्दील
जंगल में लगी आग से हरा भरा जंगल अब-अब काले जंगल में तब्दील हो गया है। जंगल में लगी आग से छोटे-छोटे पेड़ों के जल जाने से जंगल काले मैदान में तब्दील हो गया है।