मंडी: पुलिस और टैक्स विभाग द्वारा प्रदेश के बॉर्डर सील रहते हैं, बावजूद इसके हिमाचल प्रदेश में सोने और चांदी की तस्करी का काला धंधा बदस्तूर जारी है। स्मगलिंग का यह धंधा हिमाचल के साथ लगते राज्य पंजाब से किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश के कुछ एक बड़े स्वर्ण व्यवसायी संलिप्त हैं। स्मगलर्स पथ परिवहन निगम की बसों और निजी वाहनों के माध्यम से सोने चांदी के बिस्कुट के साथ-साथ जेवरातों की स्मगलिंग कर प्रदेश में इन बड़े व्यापरियों को पहुंचाते हैं और वे कम रेट पर आभूषण बेच मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं।
इसी सोने चांदी के स्वस्थ व्यापार से जुड़े छोटे व्यापरी कंपटिशन न कर पाने के कारण नुकसान झेलने को मजबूर हैं। लेकिन संबंधित विभाग सब कुछ जानते हुए भी सोया रहता है, कभी कभार उठकर औपचारिकता पूरी करने के लिए बसों में चेकिंग कर ली जाती है। रोजाना बिना बिल के सोना चांदी धड़ल्ले से दिन के उजाले में प्रदेश में पहुंच रहा है, तस्कर और बड़े सर्राफा व्यापारी फल फूल रहे हैं। कुछ ऐसे स्वर्ण व्यवसायी हैं, जोकि यह धंधा अर्से से कर रहे हैं, लेकिन विभाग की पकड़ में नहीं आ पाते, इनका नेटवर्क प्रदेशभर में फैला हुआ है। जिस कारण राजस्व को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
एक तोला पर 6 से 7 हजार रुपए का शुद्ध लाभ
एक तोला सोना लेकर आने में इन्हें करीब 6 से 7 हजार रुपए का लाभ होता है। पंजाब से सोने के बिस्कुट और छड़ की तस्करी करने वाले गिरोह सक्रिय हैं, यह तस्करी का सोना बडे़ स्वर्ण व्यवसायियों को सप्लाई किया जाता है। बिस्कुट और छड़ को पब्लिक ट्रांसपोर्ट और निजी वाहनों में डाल कर पहुंचाया जाता है। सूत्रों के अनुसार इस काम की कमान जिला मंडी के बल्ह घाटी के एक बड़े सराफा सरगना के हाथ बताई जाती है, जोकि पंजाब के कारोबारियों के साथ मिलकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचा रहा है। बताया जाता है कि दिन के उजाले में ही पंजाब से आने वाली बसों में यह सोने चांदी के बिस्किट और आभूषण चालक परिचालक द्वारा बिना किसी बिल के अवैध रूप से लाए जाते हैं, जिन्हें रोजाना नए ठिकानों पर इस कारोबारी को थमा दिया जाता है, जिसपर लाने ले जाने वाले को इनाम स्वरूप निश्चित सुंदर राशि अदा की जाती है। वहीं इन्हें लाने वालों के हाथों करोड़ों रुपए का नगद लेनदेन भी किया जाता है, जोकि मुख्यतः काला धन (हवाला) की श्रेणी में आता है।
त्योहारी सीजन से पूर्व स्मगलर्स रहते हैं सक्रिय
त्योहारों से पहले ही सर्राफा कारोबारी अपने पास अथाह स्टाक जमा कर लेते हैं, त्योहारों पर रोजाना भाव बढ़ने के चलते वे खूब मुनाफा कमा सकें। इस दौरान तस्करी जोरों पर रहती है, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के माध्यम से रोजाना करोड़ों रुपए का सोना चांदी और आभूषण बिना बिल और टैक्स प्रदेश के अंदर पहुंच जाता है। वहीं करोड़ों रुपए बिना टैक्स अदा किए प्रदेश से बाहर चले जा रहे हैं। प्रदेश सरकार को इस अवैध रूप से फल फूल रहे काले धंधे की रोकथाम के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। आयकर विभाग और पुलिस को प्रदेश की सीमाओं पर चेकिंग करने के साथ साथ इस धंधे में संलिप्त सरगनाओं की धर पकड़ के लिए कड़े आदेश देने होंगे ताकि सरकारी खजाने में इजाफा होने के साथ साथ जो लोग सोने चांदी के स्वस्थ व्यापार से जुड़े हुए हैं, जिन्हें तस्करी से नुकसान हो रहा है उन्हें भी राहत मिल सके।