मंडी में वन रक्षक की संदिग्ध मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। एक ओर सरकार जनता को जांच का आश्वासन दे रही है तो वहीं वहीं पांच दिनों के बाद में पुलिस के हाथ अभी तक खाली है। स्थानीय प्रशासन के रवैये पर भी सवाल उठ रहे हैं। लोगों की मांग है कि मामले को केंद्रीय जांच ऐजेंसी के हवाले किया जाए।
मंगलवार को मामले के विरोध में सड़कों पर उतरी मंडी की जनता का यही कहना है कि वन रक्षक की हत्या की गई है। जबकि, शुरुआत में प्रशासन की ओर से इसे सूसाइड बताया गया। लेकिन, ताजा जानकारी यह है कि होशियार सिंह की एक डायरी भी मिली है जिसके मुताबिक जिस बीट में वह काम कर रहा था वहां बड़े स्तर पर पेड़ों की अवैध कटान काम वन माफिया कर रहे थे। होशियार सिंह ने वन माफियाओं से जान का ख़तरा भी बताया था।
सूत्रों की मानें तो यह जानकारी भी सामने आ रही है कि प्रशासन ही वन माफियाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके चलते वन के अधिकारी ही हरे पेड़ों का कटान कर रहे थे। यह कारगुजारी होशियार सिंह को रास नहीं आई और जब उसने अधिकारियों के खिलाफ आवाज़ उठाई तो बदले में उसे मौत के घाट उतार दिया गया। इस बाबत समाचार फर्स्ट को कुछ वनकर्मियों ने नाम नहीं बताने के शर्त पर कहा कि कई मर्तबा उन्हें पेड़ काटे जाने की जानकारी होती है लेकिन जान की कीमत पर वह कोई कदम नहीं उठाते। इन वन कर्मियों का दावा है कि इसमें बड़े लोगों की मिलीभगत होती है।
हालांकि, मीडिया में यह मुद्दा गरम होने और लोगों के सड़क पर उतरने से वन मंत्रालय के भी कान खड़े हो गए हैं। अब सभी तथ्यों के आधार पर वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी भी सक्रिय होते नजर आ रहे हैं। वन रक्षक की हत्या के बाद हथियारों जैसी सुविधा वन रक्षकों को तुरंत जारी कर दी गई इसका स्पष्ट उदाहरण है। लेकिन, मामले की जांच की बात करें तो उसमें लीपातपोती और टाल-मटोल बड़े स्तर पर हो रहा है। मंगलवार को अपने एक बयान में भरमौरी ने कहा कि मामले की जांच के लिए कमेटी भी गठित कर दी है जो कि 15 दिनों के अंदर सरकार रिपोर्ट सौंपेगी।
वन मंत्री ने सीबीआई जांच की मांग को गैर-जरूरी बताया। हालांकि, स्थानीय जनता और वन रक्षक समूह मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहा है। लोगों लगातार उपायुक्त कार्यालय पर प्रदर्शन कर रहे हैं और निष्पक्ष एजेंसी से जांच की मांग कर रहे हैं।