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हत्या, आत्महत्या या दुर्घटना? आग में झुलसी विवाहिता की टांडा अस्पताल में मौत

डेस्क |

आग में झुलसी एक विवाहिता लक्ष्मी(30) ने रविवार को टांडा अस्पताल कांगड़ा में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। दर्द से बिख़लती इस विवाहिता की एक सप्ताह बाद मौत तो हो गई, लेकिन उसके साथ कई राज़ भी दफन हो गये। न तो घरवाले उनकी मौत का सही कारण बता पा रहे हैं और न ही पुलिस… केस बस उलझता ही मालूम पड़ रहा है।

क्या है मामला…??

दरअसल, 14 अप्रैल को कांगड़ा जिला के नूरपुर में रहने वाली एक विवाहिता घर में झुलस गयी ।  भरंडा गांव से संबंध रखने वाले उसके ससुराल वालों का कहना है कि उसने खुद को आग लगाई है , जिसके बाद वे बुझाने में जुटे और उसे अस्पताल लाए। आग लगाने से पहले सबकुछ ठीक था। न ही कोई लड़ाई और न ही कोई बहसबाजी। मृतका का पति के मुताबिक, उपचार के दौरान महिला ने नूरपुर पुलिस में बयान भी दिया, जिसमें उसने अपने पति को निर्दोष बताया है।

वहीं, मृतका के मायके में उसके पांच भाई हैं जिनका साफ़ तौर पर यहीं कहना है कि उनकी बहन ने कभी अपने ससुराल पक्ष को लेकर कोई श़िकायत तक नहीं की। अग़र ऐसा होता तो वे खुद उनके ससुराल वालों से बात करते, लेकिन ऐसा कुछ कभी हुआ ही नहीं…।। उनकी बहन के  1 लड़का और 3 लड़कियां हैं और उनकी श़ादी को  18 साल हो चुके हैं।

उधर, डॉक्टर का कहना है कि जब मृतका को टांडा लाया गया तो वे 45 फीसदी जल चुकी थी और उसके श़रीर का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह जला था। जबकि बर्न वार्ड की नर्स कहती हैं कि जितने भी दिन उनका यहां उपचार चला वे हमेशा यही कहती थी कि वे एक दिये से जल गई। उनका ईलाज सही से किया जा रहा था लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका । नर्सों का ये भी कहना है कि एक सप्ताह के दौरान उसने कभी ऐसा नहीं कहा कि उसे किसी ने आग लगायी है ।

ग़ौरतलब है कि 14 अप्रैल को नूरपुर के भरंडा में रहने वाली एक विवाहिता लक्ष्मी आग से झुलसी थी। उसके बाद उन्हें इलाज के लिए टांडा अस्पताल लाया गया है और यहां उपचार के दौरान रविवार को उनकी मौत हो गई। उनके बयानों से फिलहाल ये अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है कि या वे गलती से वे आग की चपेट में आ गईं है या फ़िर अंदर कोई और कड़ी जुड़ी है, इसकी जांच अब पुलिस कर रही है…!!