प्रदेश में 108 एंबुलेंस सेवा मरीज़ों के लिए कितनी सेफ है, इस बात का अंदाजा तब लगाया जा सकता है, जब शिलाई में मरीज़ को लेने जा रही एक एंबुलेंस का बीच रास्ते में टायर अलग हो जाता है। जी हां, शिलाई में 108 एंबुलेंस का बीच सड़क पट्टा खुलने से अगला टायर निकल गया और गाड़ी बीच सड़क पलट गई।
हालांकि, इस हादसे में किसी का जानी नुक्सान तो नहीं हुआ, लेकिन संबंधित विभाग की लापरवाही जरूर देखने को मिली है। यहां ऐसी गाड़ियों को एंबुलेंस पर दौड़ाया जा रहा है जिनको टाइम पर ने तो चैक किया जाता और न ही कोई रिपेयरेंस की जाती है। मिली जानकारी के मुताबिक, यहां दौड़ रही अधिकतम 108 करीब साढ़े तीन लाख किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी हैं और अब मेंटेनेंस के लिए तरस रही हैं जो कि समय पर नहीं मिल पा रही।
गनीमत ये रही कि हादसे के वक़्त कोई मरीज इस एंबुलेंस में नहीं था और ड्राइवर ने मौका देखकर अपनी जान बचाई। एबुलेंस की ऐसी सर्विस से सड़क हादसा तो पेश में आया ही, साथ ही उस मरीज़ को भी पूरी सर्विस ने नहीं मिल पाई जिसने इमरजेंसी में 108 को बुलाया था।
जानकारी के मुताबिक, दूरदराज इलाके हलाहं से 108 को कॉल आई थी और शिलाई अस्पताल से एंबुलेंस मरीज को लेने के लिए निकली। बीच रास्ते में अचानक एंबुलेंस का अगली तरफ का पट्टा टूट गया और चक्का अलग निकल गया। ड्राइवर की सूझ-बूझ ने गाड़ी को किसी तरह रोकना चाहा, जिसकी वजह से गाड़ी बीच रास्ते में पलट गई। अन्यथा 108 साथ ही लगती खाई में गिर सकती थी।
ग़ौरतलब है कि इससे पहले भी 108 एंबुलेंस में कई ख़ामियां पाई गई थी। कई जगहों पर न तो ऑक्सीज़न सिलेंडर थे और न ही स्टैचर। अब एक फिर इस घटना ने संबंधित विभाग की ढील का बड़ा नमूना पेश किया है।