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कोटखाई मामला: फोरेंसिक रिपोर्ट में साबित नहीं हुई आरोपियों की संलिप्तता

पी. चंद |

बहुचर्चित गुड़िया सामुहिक दुष्कर्म और हत्या मामला सीबीआई के लिए जी का जंजाल साबित होता जा रहा है। दरअसल, इस मामले की फोरेंसिक जांच रिपोर्टों में आरोपियों की प्रत्यक्ष तौर पर संलिप्तता के प्रमाण नहीं मिले हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गुड़िया प्रकरण की तीन अलग-अलग रिपोर्टें सीबीआई को मिल गई हैं। इन रिपोर्टों के मुताबिक पांचों आरोपियों की गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में ऐसी भूमिका नहीं थी, कि उन्हें अपराधी साबित किया जा सके।

CBI ने आरोपियों सुभाष, लोकजन, आशीष चैहान, राजेंद्र और दीपक का नार्को टैस्ट, पॉलीग्राफ टैस्ट और अन्य फोरेंसिक टेस्ट करवाए थे। सीबीआई की ओर से हिमाचल के बाहर अन्य राज्य की प्रयोगशाला में ये महत्वपूर्ण टैस्ट करवाए गए थे। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले ही सीबीआई को मिली इन टेस्टों की रिपोर्ट मिली है। इस मामले की 11 अक्तूबर को हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई ने हाईकोर्ट की खंडपीठ से अतिरिक्त समय की गुहार लगाई थी और दलील दी थी कि उसे इस मामले से जुड़ी फोरेंसिक जांच रिपोर्टों का इंतजार है।

राज्य पुलिस की एसआईटी ने 12 जुलाई को उक्त आरोपियों को गिरफ्तार किया था। बाद में सीबीआई ने इस मामले को अपने हाथ में लिया। चुंकि सीबीआई 90 दिनों के भीतर आरोपियों के खिलाफ चालान अदालत में पेश नहीं कर पाई, लिहाजा आरोपियों ने जमानत के लिए अर्जी दी थी, जिसकी 13 अक्तूबर को सुनवाई करते हुए स्थानीय अदालत ने पहले आशीष चौहान की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए उसे रिहा कर दिया था। इसके दो दिन बाद अन्य चार आरोपियों की जमानत भी मंजूर कर ली गई थी।

बताया जाता है कि इनमें राजेंद्र द्वारा जमानती बांड भरने के कारण उसे रिहा कर दिया गया, जबकि अन्य तीन आरोपी अभी कण्डा जेल में ही हैं। इधर, गुड़िया से जुड़े सुरज हत्याकांड मामले में न्यायिक हिरासत में चल रहे हिमाचल पुलिस के निलंबित आईजी एच जहूर जैदी ने भी जमानत के लिए स्थानीय अदालत में अर्जी दे दी है। आईजी सहित पुलिस के आठ कर्मचारियों को सीबीआई ने बीते 29 अगस्त को शिमला से गिरफ्तार किया था। सूरज की हवालात में हत्या में संलिप्तता के चलते इनकी गिरफतारी हुई थी।

इस बीच हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट आज इस बहुचर्चित मामले की सुनवाई करेगा। सीबीआई छटी बार जांच की प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल करेगी, जिसमें इन दोनों मामलों के बारे में विस्तृत जानकारी होगी। इस बात की संभावना कम ही है कि सीबीआई एक बार फिर कोर्ट से अतिरिक्त समय की गुहार लगाए।

जांच में हो रही देरी से नाखुश हाईकोर्ट की खंडपीठ पिछली कुछ सुनवाईयों में सीबीआई को कड़ी फटकार भी लगा चुकी है। 11 अक्तूबर को मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने सीबीआई की प्रगति रिपोर्ट को पढ़ने के बाद इसे क्लूलैस बताते हुए दो हफते में मामले की पूरी जांच के आदेश जारी किए थे। तब सीबीआई के अधिकारियों ने खंडपीठ के समक्ष कहा था उनकी जांच सही दिशा में चल रही है और इस मामले से जुड़ी रिपोर्टों का उसे इंतजार है।

उल्लेखनीय है कि गुड़िया 4 जुलाई से लापता थी और उसका शव 6 जुलाई को कोटखाई के हलाइला के जंगल में मिला था। राज्य पुलिस ने इस मामले की जांच को एसआईटी का गठन किया था और उसने छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी सूरज की कोटखाई पुलिस लॉकअप में हत्या हो गई थी। इसका आरोप गुड़िया मामले के दूसरे आरोपी राजू पर लगा था। इस घटना के बाद कोटखाई में लोग भड़क गए थे और उन्होंने थाने को ही फूंक दिया था।