सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का जितना भी दावा करे, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। सिरमौर जिले के पावंटा साहिब सिविल अस्पताल में एक ऐसा वाक्या पेश आया है जिसने सरकार के इन दावों की पोल खोल दी। एक बेव पोर्टल के अनुसार अस्पताल में ऐमरजेंसी में उपस्थित एक डॉक्टर ने गंदे कपड़े देख एक बुजुर्ग का इलाज करने से मना कर दिया। बिना प्राथमिक उपचार के बुजुर्ग और महिला 2 घंटे तक प्राथमिक उपचार के लिए तड़पते रहे। इतना ही नहीं इन को प्राथमिक उपचार के बिना ही अस्पताल से बाहर भेज दिया गया।
डॉक्टर ने अपने बचाव में दी ये सफाई
वहीं, मामले को बढ़ता देख महिला डॉक्टर ने अपने आप को बचाने के लिए कहा कि अस्पताल आने पर मरीज को जख्म नहीं थे। जख्म बाद में कहीं से आए है। इतना ही नहीं गरीब लोगों को अस्पताल प्रशासन किसी भी हालत में दाखिल नहीं कर रहा था। इस सारे मामले में सीएमओ सिरमौर संजय शर्मा और डायरेक्टर हैल्थ हिमाचल प्रदेश बलदेव ठाकुर के हस्तक्षेप के बाद उन्हें अस्पताल में दाखिल किया गया। फिलहाल सिविल अस्पताल में इनका इलाज मजबूरी में चल रहा है।
सीएमओ ने दिया कड़ी कार्रवाई का आश्वासन
उधर, इस बारे में सीएमओ सिरमौर संजय शर्मा ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच वह खुद करेंगे कि ऐसा क्यों किया गया है। उन्होंने कहा कि डॉक्टर का फर्ज इलाज करना है इसमें अमीरी गरीबी देखना बहुत गलत बात है। मामले की जांच के बाद उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। दूसरी ओर लापरवाही बरतने वाली डॉक्टर पर अस्पताल प्रशासन जांच करने के लिए कह रहा है। देखना यह होगा कि क्या डाक्टर पर स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई कर पाएगा।