प्रदेश में 108 एम्बुलैंस सेवा की खस्ताहाल को देखते हुए हिमाचल सरकार ने कंपनी के साथ हुए समझौते को रद्द करने की तैयारी कर रही है। सरकार ने कंपनी के साथ हुए करार की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। यह समीक्षा कर्मचारी व लोगों की तरफ से लगातार आ रही परेशानियों को देखते हुए की जा रही है। कंपनी पर आरोप है कि कर्मचारियों को समय पर वेतन सहित अन्य लाभ नहीं मिल रहे हैं, जिस कारण उनको आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा। इसी तरह लोगों की तरफ से ये शिकायतें मिल रही हैं कि 108 एम्बुलैंस सेवा मरीजों को समय पर उपलब्ध नहीं हो रही है।
इस एम्बुलैंस सेवा केंद्र और प्रदेश सरकार के सहयोग से चल रही है जिसमें केंद्र सरकार 90 फीसदी व राज्य सरकार 10 फीसदी राशि वहन कर रही है। राज्य सरकार अपने शेयर के रूप में सालाना इस पर करीब 9 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। मौजूदा समय में राज्य में 108 एम्बुलैंस सेवा के बेड़े में 198 एम्बुलैंस शामिल की गई हैं। उल्लेखनीय है कि 108 सेवा के लिए पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में जी.वी.के. कंपनी के साथ करार हुआ था। इस समझौते के अनुसार कंपनी को वर्ष, 2020 तक अपनी सेवाएं देनी हैं।
राज्य में 108 एम्बुलैंस सेवा के अलावा 102 एम्बुलैंस सेवा भी चल रही है। इसको लेकर भी सरकार समीक्षा करेगी। इस तरह राज्य सरकार प्रदेश में इस प्रकार चलने वालीं सभी तरह की एम्बुलैंस सेवा की व्यापक समीक्षा करने जा रही है। राज्य सरकार भविष्य में एयर एम्बुलैंस सेवा को चलाने के विकल्प भी तलाश रही है। इसके लिए केंद्र सरकार से भी सहयोग मांगा जा रहा है।
एम्बुलैंस सेवा की व्यापक समीक्षा होगी: स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि सरकार 108 सहित अन्य एम्बुलैंस सेवा की व्यापक समीक्षा कर रही है। मंत्री कहा कि 108 एम्बुलैंस सेवा को लेकर कई तरह की शिकायतें प्रदेश भर से मिली हैं, जिसे देख कर हुए कंपनी के साथ हुए समझौते की समीक्षा की जा रही है।