कारगिल युद्ध में पाक सेना को नाकों चने चब्वाने वाली 18 ग्रेनेडियर को एक और जिम्मेदारी दी। यह काम था विदेश की धरती पर बंधक बनाये भारतीय नागरिकों को छुड़वाने का। इसकी जिम्मेदारी भी कारगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर का नेतृत्व करने वाली ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को दी गई। इस ऑपरेशन को खुखरी के नाम जाना जाता है। अफ्रीका के सिएरा लियोन में ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर के नेतृत्व में 18 ग्रेनेडियर ने 240 लोगों को आंतकियों के चंगुल से छुडवाया था।
जानकारी के अनुसार वर्ष 2000 में अफ्रीका के सिएरा लियोन में विद्रोहियों ने खूब आतंक मचा रखा था। विद्रोहियों ने यूनाईटिड नेशन पीस किपिंग फोर्स के 240 जवानों को अपना बंदी बना लिया, इनमें 234 भारतीय थे। इन्हें छुड़ाने के लिए भारत सरकार ने ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को दलबल के साथ सिएरा लियोन भेजा। ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर उन दिनों 18 ग्रेनेडियर के कप्तान थे और उनके पास 900 जवानों की यूनिट थी। 15 जुलाई 2000 को ऑपरेशन खुखरी शुरू हुआ। दो दिनों तक चले इस ऑपरेशन के दौरान 16 जुलाई को जंगल में विद्रोहियों के चंगुल में फंसे भारतीयों समेत यूनाईटेड नेशन पीस किपिंग फोर्स के सभी जवानों को सुरक्षित छुड़ा लिया गया। इस ऑपरेशन में एक जवान शहीद हुआ और दो घायल हुए थे।
10 महीने सिएरा लियोन में रहे खुशाल ठाकुर
ऑपरेशन खुखरी के बाद ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर अपने दलबल के साथ सिरालेयोन में दस महीनों तक रहे। उन्होंने इस दौरान वहां के हालात को सामान्य करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। सरकार, प्रशासन और जनता के बीच फैले डर को दूर किया। लोगों को फिर से खेती-बाड़ी की तरफ प्रेरित किया। अस्पताल और स्कूल खोले गए और विद्रोहियों को भी सही रास्ते पर लाने का काम किया। ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर बताते हैं कि इस ऑपरेशन के बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस सिएरा लियोन जहाज में आम लेकर आए और जवानों को भारतीय आम खिलाकर जीत का जश्न मनाया था।