छात्र अभिभावक मंच निजी स्कूलों की मनमानी, लूट व भारी फीसों के खिलाफ 19 जून को उच्चतर शिक्षा निदेशालय परिसर में प्रदर्शन करेगा और एक बार पुनः उच्चतर शिक्षा निदेशक को 24 सूत्रीय मांग पत्र सौंपकर निजी स्कूलों पर नकेल लगाने की मांग करेगा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा, सह संयोजक बिंदु जोशी और सदस्य फालमा चौहान ने निदेशक उच्चतर शिक्षा से मांग की है कि वह 18 मार्च, 8 अप्रैल और 4 मई 2019 को शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी की गई अधिसूचनाओं और पत्रों को अक्षरशः लागू करवाएं अन्यथा आंदोलन को उग्र किया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि शिक्षा निदेशालय ने 4 मई को जो पत्र 96 निजी स्कूलों को निकालकर दूसरी तिमाही में वर्ष 2019 की बढ़ी हुई फीस अभिभावकों को वापिस करने अथवा समायोजित करने के आदेश दिए हैं, उसे सख्ती से लागू करवाया जाए। उन्होंने यह भी मांग की है कि केवल 96 निजी स्कूलों के लिए जारी की गई 4 मई की अधिसूचना को प्रदेश के लगभग सभी 2700 स्कूलों के लिए लागू किया जाए। इन 2700 स्कूलों में 5 लाख से ज़्यादा छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और यह प्रदेश के कुल छात्रों का लगभग 45 प्रतिशत है। इसलिए बेहद ज़रूरी हो जाता है कि फीस कटौती की अधिसूचना केवल 96 स्कूलों के बजाए सभी 2700 स्कूलों पर लागू हो ताकि सभी छात्रों व अभिभावकों को न्याय मिल सके।
विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि कुल 2700 स्कूलों में से केवल 96 स्कूलों को फीस कटौती अथवा समायोजन का नोटिस निकालने से स्पष्ट है कि फीसों को तर्कसंगत बनाने के नाम पर शिक्षा निदेशालय के अधिकारी केवल खानापूर्ति अथवा टोकेनिज़्म करना चाहते हैं जोकि मंच को कतई मंज़ूर नहीं है। उन्होंने निदेशक से मांग की है कि वह निजी स्कूलों के दांव पेच में न आएं क्योंकि 4 मई के पत्र का लगभग सभी स्कूलों ने एक सा ही जबाव दिया है। जिससे स्पष्ट है कि भारी फीसों के नाम पर लूट में सभी निजी स्कूलों का एक गठजोड़ और मिलीभगत है तथा वे फीसों को कम करने के लिए एक से डेढ़ महीने का समय मांग कर केवल मुद्दे की गंभीरता को कम करके इसे टालना चाहते हैं। उन्होंने उच्चतर शिक्षा निदेशक को चेताया है कि अगर वह निजी स्कूलों की मनमानी,लूट व भारी फीसों पर शिकंजा नहीं कसेंगे तो मंच को मजबूरन शिक्षा निदेशालय की घेराबंदी करनी पड़ेगी।