प्रदेश में जयराम सरकार ने हिमाचल यूनिवर्सल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम बड़े जोर-शोर से शुरु की थी और कहा था की 365 रुपये में सरकार लोगों को 30000 रुपयों का हेल्थ कवर देगी और इसके साथ ही 2 लाख 25000 का बीमा भी दिया जाएगा। जिसके तहत हर परिवार से 5 व्यक्ति लाभांवित होंगे। बता दें कि प्रदेश में 2016 में इस स्कीम को कांग्रेस सरकार के समय शुरु किया गया था और हिमाचल पूरे देश में ऐसा पहला राज्य बना था जहां इस सुविधा को चलाया गया था। इसी की तर्ज पर केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत स्कीम पूरे देश में शुरु की जो सिर्फ गरीब परिवारों के लिए थी। लेकिन अब इस योजना का लाभ उठाने के लिए लोंगों को 365 की जगह अब 1000 रूपये देने पड़ सकते हैं।
वहीं, इस योजना को लेकर बीजेपी के कार्यकर्ताओं में खासा जश्न दिखा और बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने एक दो नहीं बल्कि घर-घर जाकर इस स्कीम को लेकर लोगों को शिक्षित भी किया। जिसके चलते बड़ी संख्या में लोग आए और इस स्कीम का लाभ लेने लगे। लेकिन, अब सूत्रों की माने तो अब इस स्कीम को लेकर सरकार फंस गई है, क्योंकि जिस बैंक से सरकार का हेल्थ कार्ड बनाने का कॉन्ट्रैक्ट था उस बैंक ने इस कीमत पर इसको बनाने से मन्ना कर दिया है और वो इसके लिए 1000 रुपयों की मांग कर रहा हैं।
सूत्रों की माने तो सरकार ने इसको लेकर अब 18 तारीख को संबधित अधिकारीयों की स्वास्थ्य मंत्री के साथ बैठक बुलाई गई है जिसमें इसको लेकर आगे चर्चा की जायेगी।
वहीं, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह ने कहा कि ''एक साल सरकार के गरीबों पर मार के'' इस लिए कह सकते हैं क्योंकि तीन गुना तक कीमत सरकार ने हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम की बड़ा दी है। उन्होंने कहा की स्वास्थ्य बीमा सुविधा हमने एक रूपया दिन के हिसाब से प्रदेश की जनता के लिए लाई थी लेकिन, अब इसकी कीमत तीन गुणा कर दी गई है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट होता है कि बीजेपी सरकार गरीबों की विरोधी है।