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मातृभूमि की रक्षा के लिए सैंकड़ो वीरों ने न्यौछावर किए अपने प्राण, प्रदेश के वीरों के नाम 4 परमवीर चक्र

पी. चंद |

देश के स्वतंत्रता संग्राम में वीरभूमि हिमाचली सुपूत भी पीछे नहीं रहे। देश को स्वतंत्र करवाने में हिमाचल के कई वीरों ने शहादत दी थी। शहादत का ये सिलसिला आज भी जारी है फिर चाहे आज़ादी की लड़ाई हो या कारगिल का युद्ध , या फिर सीमा पर आतंकवाद से मुकाबला हिमाचल के जवान हर देश की रक्षा के लिए बलिदान देते रहे  हैं। इसी तरह से पहाड़ी प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी भी हैं ,जिन्होंने अपना अहम योगदान देश को आजादी दिलाने में दिया है। आज भी प्रदेश के 50 से ज़्यादा स्वतंत्रता सैनानी जीवित हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका निभाई है। हिमाचल प्रदेश में 900 से ज़्यादा स्वतंत्रता सेनानी परिवार सरकारी रिकार्ड में दर्ज हैं।

हिमाचल के 131 जवानों ने आज़ाद हिन्द फ़ौज में रहकर शहादत दी। इसी तरह द्वितीय विश्व युद्ध मे 43 यहाँ के जवान वीरगति को प्राप्त हुए। 1962 के युद्ध मे 131 जवानों ने मातृभूमि के लिए अपनी जान गँवाई। 1965 के युद्ध में 199 जवानों ने मौत को गले लगाया। 1971 के भारत पाक युद्ध में 195 वीर शहीद हुए। जबकि आतंकी घटनाओं में 400 से ज़्यादा जवान शहीद हुए, इसी तरह शान्ति के समय 261 जवानों की शहादत हुई।

25 मई, 1999 को हुए करगिल युद्ध में हिमाचल के 52 जवानों ने जीवन का बलिदान दिया था। इसमें कांगड़ा जिले के सबसे अधिक 15 जवान शहीद हुए थे। मंडी जिले से 11, हमीरपुर के 7, बिलासपुर के 7, शिमला से 4, ऊना से 2, सोलन और सिरमौर से दो-दो जबकि चंबा और कुल्लू जिले से एक-एक जवान शहीद हुआ था। शहादत का ये सिलसिला आज भी जारी है। जहां हिमाचल के वीर सपूत आज भी सरहदों की रक्षा करते हंसते -हंसते अपनी जान दे देते है।

हिमाचल में एक लाख से ज्यादा पूर्व सैनिक और इतनी ही संख्या में सेना में जवानदेश की रक्षा कर रहे हैं। हिमाचल के 4 जवानों को देश के रक्षा के लिए परमवीर चक्र मिले है, 10 महावीर चक्र हिमाचल के जवानों के नाम है। जबकि 850 के करीब गैलंट्री अवार्ड हिमाचल के जवानों को मिल चुके हैं। ऐसे वीर जवानों की समाचार फर्स्ट शत-शत नमन करता है।