हिमाचल में स्क्रब टाइफ्स जानलेवा बिमारी ने एक और जान ले की है। शिमला में स्क्रब टायफस से एक और मौत हो गई है। कुल्लू की रहने वाली चार साल की मासूम स्क्रब टायफस से अपनी जिन्दगी हार गई। मृतक को 11 तारीख को अस्पताल में भर्ती किया गया था जिसके बाद उसकी टेस्ट रिपोर्ट में स्क्रब टायफस के पॉजिटिव लक्षण पाए गए थे।
प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में एक सप्ताह के भीतर स्क्रब टायफस दो लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी है। इस साल में अब तक स्क्रब टायफस से करीब पांच लोगों को अपनी जिन्दगी से हाथ धोना पड़ा है।
IGMC के मुख्य वरिष्ठ अधिकारी डॉ. जनक राज ने पुष्टि करते हुए बताया कि स्क्रब टायफस से एक सप्ताह में दो मामले आये थे जिसमें अब कुल्लू की रहने वाली चार साल की मासूम की मौत हो गई है। इस साल अब तक करीब पांच लोगों की मौत हो चुकी है।
उन्होंने बताया कि इस साल अस्पताल में करीब 11 सौ से ज्यादा मामले आये हैं जिनमें से पांच लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। बाकी सभी मरीजों का उपचार किया गया है। उन्होंने स्क्रब टायफस से होने वाले लक्षणों के बारे में बताया कि यह रोग बरसात के दिनों में उगने वाली घास में पाए जाने वाले पीसू से अधिक फैलता है। जिससे मरीज की मौत तक भी हो सकती है।
क्या है स्क्रब टाइफस स्क्रब
टायफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। उन्होंने इसके बचाव के बारे में बताया कि बरसात के मौसम में झाड़ियों से दूर रहे और घास आदि में न जाए, लेकिन किसानों और बागवानों के लिए ये संभव नहीं है क्योंकि इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टायफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा अधिक होती है।