शिमला का ऐतिहासिक रिज मैदान कई ऐतिहासिक पलों के गवाह रहा है। इस रिज मैदान ने देश प्रदेश में कई उतार चढ़ाव देखे है। इसी रिज मैदान के एक छोर पर हरियाणा के अभय सिंह भी बैठते है। अभय सिंह बूट पोलिश का काम करते है। जिनको छोटू के नाम से भी जाना जाता है। अभय सिंह का नाम छोटू कैसे पड़ा इसके पीछे भी उनका अतीत है। छोटू राम के साथ उनकी जगह भी बूढ़ी हो चली है क्योंकि जहाँ वह बैठते है उस तरफ़ लगातार रिज धंस रहा है।
अभय सिंह बताते है कि मार्च 1975 में वह शिमला आए थे। उस वक़्त उनकी उम्र महज़ 15 से 16 साल की रही होगी। इसलिए उनको लोगों ने छोटू बुलाना शुरू किया और वह अभय से छोटू राम बन गए। तब से लेकर इसी छोर पर बैठकर वह जूतों में पोलिश करते रहे हैं। सन 1981 में छोटू राम को नगर निगम ने ये जगह तो बैठने के लिए दी लेकिन छत डालने की इजाज़त नही दी। छोटू राम ने भी कभी निगम के नियमों का उल्लंघन नही किया। यही वजह है कि अभय आज भी यही डटे हुए हैं।
अभय सिंह से बात हुई तो उन्होंने बताया कि कारोना काल से पहले एक दिन में शाम तक 100, 200 रुपया बच जाता था। तब अपना व परिवार का खर्च चल पड़ता था। क्योंकि उनका परिवार हरियाणा में रहता है। वहाँ भी खर्च देना पड़ता है। लेकिन कारोना काल में काम पर बड़ा असर पड़ा है इसलिए ख़र्च निकालना भी मुश्किल हो गया है। उम्र के इस पड़ाव में इस काम के अलावा कहीं पर ठौर नही मिलेगी। इसलिए अच्छे दिनों की उम्मीद लगाए बैठे है।