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550 साल से गांव की रक्षा के लिए तपस्या पर बैठा है ये संत, आज भी बढ़ रहे हैं बाल और नाखून

<p>तिब्बत से दो किलोमीटर दूर बसे गांव गीयू जहां एक संघा नाम के बौद्ध भिक्षु करीब 550 साल से तपस्या में लीन है। हैरानी की बात तो ये है कि आज भी उसके बाल और नाखून बढ़ रहे हैं। वैसे मम्मी को सहज कर रखने का काम प्राचीन मिस्र सभ्यता में बड़े पैमाने पर होता था।&nbsp; जिसमे मृत्यु के पश्चात शव को केमिकल्स से संरक्षित करके रखा जाता था। मिस्त्र के अलावा और भी कई देशों जैसे इटली का कापूचिन कैटाकॉम्ब, जहां 8000 शवों को ममी बनाकर&nbsp; संरक्षित रखा गया है। लेकिन&nbsp; कंही पर भी प्राकृतिक ममी नहीं मिलती है ।<br />
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&nbsp;दुनिया भर में सिर्फ हिमाचल प्रदेश लाहुल स्पीति के गीयू गांव में लगभग&nbsp; 550 साल पुरानी प्राकृतिक ममी आज भी मौजूद है, जिसके बाल और नाख़ून आज भी बढ़ रहे है। ये ममी की&nbsp; अन्य दुनिया की मम्मियों&nbsp; से&nbsp; इसलिए&nbsp; भी अलग है क्योंकि&nbsp; ये&nbsp; बैठी हुई अवस्था में है जबकि&nbsp; अन्य ममीज लेटी हुई अवस्था में ही मौजूद मिली हैं। तिब्बत&nbsp; से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गीयू गांव साल में 6 से 8 महीने बर्फ की वजह से बाकी दुनिया से कटा रहता है।स्थानीय लोगो के अनुसार गांव में एक स्तूप में स्थापित ये ममी 1974 में आये भूकम्प से कहीं पर दब गयी थी, जो कि सन 1995 में आईटीबीपी&nbsp; के जवानो के द्वारा सडक बनाते समय जब कुदाल मम्मी के सिर में लगी तब ममी का पता चला। कहा जाता है कि जब ममी के कुदाल लगी तो सिर से खून भी निकला था।</p>

<p>ये मम्मी सन 2009 तक आईटीबीपी के कैम्पस में ही रखी रही तथा उसके बाद गांव वालों ने इसको गांव में लाकर एक शीशे के कैबिन में स्थापित कर दिया और गांव में रहने वाले परिवार बारी-बारी से इसकी देख भाल करने लगे। माना जाता है कि करीब 550 वर्ष पूर्व गीयू गांव में एक संत रहते थे उसी दौरान उस गांव में बिछुओं का बहुत प्रकोप होने लगा था।&nbsp; इस प्रकोप से गांव को बचाने के लिए इस संत ने ध्यान लगाने के लिए लोगों से उसे जमीन में समाधि के लिए कहा था। जमीन में संत समाधि के बाद गांव में एक इंद्रधनुष निकला और गांव बिछुओं से मुक्त हो गया था।</p>

<p>स्थानीय लोगो का मानना है कि ममी के बाल और नाखुन निरंतर बढ़ रहे हैं जबकि कुछ लोगों का मानना है कि अब&nbsp; ममी के बाल और नाखुन बढऩे कम हो गए हैं, जिसके कारण उसका सिर गंजा होने लगा है। जिसको देखते हुए इस मम्मी की देख-भाल मिश्र में रखी गई ममीज़ की तर्ज पर होनी चाहिए, अन्यथा आने वाले समय में इस पर्यटन स्थल का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मम्मी 545 वर्ष पुरानी है।&nbsp;&nbsp; हैरानी की बात ये है कि जमीन में दबी रहने के बाद भी इतने साल तक मम्मी बिना किसी लेप के सही अवस्था में कैसे है। देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने यहां पहुंचते हैं।</p>

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