प्रदेश में प्रशासनिक फेरबदल के साथ-साथ अब स्कूलों को बदलाव किया जाएगा. जीहां आपको बात दूं कि हिमाचल में पांच विद्यार्थियों की संख्या वाले 700 स्कूल होंगे मर्ज. वहीं, अब प्रदेश में पांच विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूलों को मर्ज करने की तैयारी शुरू हो गई है। मर्ज होने वाले स्कूलों के साथ लगते स्कूलों से दूरी की मैपिंग करने में शिक्षा विभाग जुट गया है। इसी महीने इस बाबत प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा गया है।
बीते दिनों शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने विभागीय समीक्षा बैठक में स्कूल मर्ज करने के निर्देश दिए थे। ऐसे स्कूलों को पहले चरण में मर्ज किया जाएगा, जहां आसपास में भी स्कूल स्थित होंगे। इन स्कूलों के विद्यार्थियों और शिक्षकों को साथ लगते स्कूलों में शिफ्ट किया जाएगा। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि ऐसे स्कूलों को पहले चरण में मर्ज किया जाएगा, जहां विद्यार्थियों की संख्या पांच से कम है। ऐसे स्कूल करीब 700 हैं। इनमें करीब 80 स्कूल ऐसे भी हैं, जहां एक भी छात्र ने दाखिला नहीं लिया है।
दूसरे चरण में दस विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूलों को चिह्नित किया जाएगा। वर्ष 2023 में 2022 के मुकाबले विद्यार्थियों की संख्या करीब 50 हजार कम भी हुई है। यू डाइस की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में इसका उल्लेख हुआ है। कोरोना संकट के बाद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में यह बहुत बड़ी गिरावट देखी गई है।
इसके चलते ही प्रदेश सरकार ने अब ऐसे स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया है जहां विद्यार्थियों की संख्या नाममात्र है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि ऐसे स्कूलों में नियुक्त शिक्षकों को ऐसे अन्य स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां बच्चों की संख्या अधिक है और शिक्षक कम हैं। मर्ज किए जाने वाले स्कूलों के बच्चों को भी साथ लगते स्कूलों में दाखिले दिलाए जाएंगे।
शिक्षा मंत्री रोहित का कहना है कि शिक्षा की गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं होगा। पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति करने के लिए स्कूलों को मर्ज करने का फैसला लिया गया है। विभागीय अधिकारियों से इसी महीने में इस संदर्भ में रिपोर्ट देने को कहा गया है। मर्ज होने वाले स्कूलों से विद्यार्थियों को नजदीक के स्कूलों में दाखिले दिए जाएंगे.