हिमाचल प्रदेश के जलाशयों में मत्स्य उत्पादन अधिक बढ़ाने की दृष्टी से इस बार 70 एमएम से अधिक आकार का बीज डाला जाएगा। इस बारे प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। जिसके तहत गोविंदसागर में मत्स्य निदेशक सतपाल मेहता की देखरेख में 4.19 लाख मछली बीज डाला गया, जबकि कुल 10 से 12 लाख सिल्वर कार्प प्रजाति की मछली का बीज डालने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा पौंगडैम, चमेरा और कोलडैम में भी पिछले साल की तुलना में इस बार अधिक बीज डालने का निर्णय लिया है।
मत्स्य निदेशक सतपाल मैहता ने बताया कि इस बार गोविंदसागर में मछली की बेहतर ग्रोथ पाई गई है जिसके तहत पिछले साल की तुलना में इस बार ज्यादा मछली बीज डालने का निर्णय लिया गया है। इसके तहत मंगलवार को चार लाख उन्नीस हजार मछली बीज डाला गया। उन्होंने बताया कि गोविंदसागर जलाशय में दस से बारह लाख मछली बीज डालने की योजना है। पश्चिम बंगाल से बीज मंगवाया गया है। जल्द ही अगली खेप बिलासपुर पहुंचने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश भर में स्थापित फार्मों में उत्पादित बीज भी जलाशयों में डाला जाएगा। उन्होंने बताया कि पौंगडैम में 8 से 10 लाख मछली बीज डाला जाएगा और इस जलाशय में भारतीय मेजर कार्प (रोहू, मृगल व कतला) प्रजाति का बीज डाला जाएगा। सतपाल मैहता के अनुसार चमेरा डैम में सिल्वर कार्प का दो लाख बीज डाला जाएगा, जबकि कोलडैम में 3 से 4 लाख मछली बीज डाला जाएगा। उन्होंने बताया कि मछली की पैदावार बढ़ाने के मकसद से इस बार जलाशयों में सुनियोजित तकनीक से बीज डाला जा रहा है जिसके आने वाले समय में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
भाखड़ा डैम में केज में पलेगी सिल्वर कार्प
मत्स्य निदेशक सतपाल मैहता ने बताया कि भाखड़ा डैम में भी जल्द ही केज में सिल्पर कार्प का 20 से 25 एमएम का बीज डाला जाएगा। भाखड़ा में कुल 28 केज हैं और एक केज में आठ से दस हजार बीज डाला जाएगा। उन्होंने बताया कि मछली का आकार 100 एमएम होने पर इसे जलाशय में डाल दिया जाता है। केज में मछली सही ग्रोथ करती है। डेढ़ से दो लाख मछली बीज डालने की योजना है।