जिला सिरमौर में शिक्षा खंड संगड़ाह के अंतर्गत आने वाली दर्जन भर प्राथमिक पाठशालाओं में एक फुट के करीब बर्फ की परत के बीच बुधवार से पढ़ाई शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा डेढ़ फुट के करीब बर्फ प्राथमिक पाठशाला दिउड़ी-खड़ाह और मडंवाच में है। यहां छात्रों की संख्या क्रमशः 23 और 40 के लगभग है। बर्फ से प्रभावित अधिकतर पाठशालाओं में हीटर की व्यवस्था तक नहीं है। सबसे ज्यादा बर्फ से प्रभावित दिउड़ी-खड़ाह स्कूल में पांच कक्षाओं के लिए एक मात्र हीटर है, जो बुधवार को दिन भर बिजली न होने के चलते बंद रहा। कुछ स्कूलों में तो दस साल तक के छोटे बच्चों को दरी या टाट पट्टी पर बैठकर दिन बिताना पड़ता है।
बुधवार को पहले दिन छात्रों की तादाद कम रही और मौजूदा छात्रों ने भी बर्फीली ठंड में जैसे तैसे दिन गुजारा। स्कूल तक आने वाले रास्तों में भी बर्फ मौजूद है और अभिभावकों को पांच से दस साल तक के छोटे बच्चों को स्कूल लेकर आना पढ़ रहा है। विडंबना यह है कि, सिरमौर जिला के उपमंडल संगड़ाह की दर्जन भर पंचायतों में हर साल भारी हिमपात होने के बावजूद सरकार अथवा प्रशासन द्वारा इन्हें स्नोबाउंड अथवा बर्फ से प्रभावित क्षेत्र नहीं दर्शाया गया है। साथ लगते शिमला जिला के चौपाल उपमंडल को सरकारी रिकॉर्ड में बर्फ से प्रभावित दर्शाए जाने के चलते यहां सर्दियों के लिए विशेष सुविधाएं मिलती है।
खंड शिक्षा अधिकारी संगड़ाह रविंद्र चौहान ने बताया कि बर्फ से प्रभावित पाठशालाओं को लेकर गत साल शिक्षा उपनिदेशक के साथ हुई बैठकों के बाद एलपीजी के हीटर खरीदने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि, उक्त पाठशालाओं के मुख्य शिक्षकों को सर्व शिक्षा अभियान के तहत हर साल मिलने वाली करीब 25 हजार की राशि से उक्त हीटर खरीद सकते हैं। उन्होंने कहा कि बर्फ से प्रभावित इलाके में क्योंकि सर्दियों के दौरान बिजली गुल रहना आम बात है, इसलिए केरोसीन और रसोई गैस से चलने वाले हीटर जैसे माध्यम विभाग की तरफ से दिया गया है।