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मंडीः दिवाली की सफाई के दौरान आंगन में मिला गुच्छी का भंडार

नवनीत बत्ता |

मध्यम और उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाने वाला प्रकृतिक उत्पाद गुच्छी यदि मैदानी क्षेत्रों में भी उगने लगे तो इसे चमत्कार ही कहेंगे। ऐसा ही एक मामला जिला मंडी के सुंदरनगर से सामने आया है। यहां मुख्य बाजार में स्थानीय व्यवसायी और निवासी रमेश सैनी को दिवाली की सफाई के दौरान आंगन में गुच्छी के कुछ पौधे दिखाई दिए। जब वह उन्हें निकालने लगे तो वहीं आसपास अनेक पौधे पाए गए। जिस पर उन्होंने अपने स्टाफ हिम्मत राम और योगराज की सहायता से तकरीबन 250 ग्राम गुच्छी खोज निकाली।

रमेश का कहना है कि अभी आंगन में काफी समान पड़ा हुआ इसे हटाने पर और गुच्छी निकलेगी। इस बारे में जब डीएफओ रिसर्च सेंटर तिलक से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने गुच्छी होने की पहचान करते हुए बताया कि यह मोरकेला प्रजाति फफूंद है और इसका वानस्पतिक नाम मोरकुला एसक्युलेटा है। अमूनन गुच्छी समुद्र तल से 1500 मीटर और इससे ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है ।

औषधियों गुणों से भरपूर होती है कीमती गुच्छी

 गुच्छी स्वाद में बेजोड़ और कई औषधियों गुणों से भरपूर होती है।गुच्छी चंबा, कुल्लू, मंडी, शिमला जिलों सहित विभिन्न जिलों में पाई जाती है। गुच्छी ऊंचे पहाड़ी इलाके के घने जंगलों में कुदरती रूप से पाई जाती है। जंगलों के अंधाधुंध कटान के कारण यह अब काफी कम मात्रा में मिलती है। यह सबसे महंगी सब्जी है। इसका बाजार मूल्य हिमाचल में 10 हजार से शुरू होता है। वहीं, कश्मीर मार्किट में यह 60 हजार प्रति किलो तक है।