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हिमालय क्षेत्र में इको टूरिज्म के लिए कार्य योजना होगी तैयार: बाली

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धर्मशाला।  हिमालय क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना तैयार की जाएगी। इसके लिए पर्यावरणविदों और भूगोल के विशेषज्ञों से समन्वय स्थापित किया जाएगा ताकि हिमालय क्षेत्र को बेहतर तरीके से संरक्षित किया जा सके।

बुधवार को धर्मशाला महाविद्यालय के सभागार में पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली ने भूगौलिक सोसाइटी ऑफ हिमाचल प्रदेश के सहयोग से महाविद्यालय के भूगोल विभाग द्वारा आयोजित हिमालय में भूगोल, आपदा प्रबंधन एवं स्थिरता थीम पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ किया।

बाली ने कहा कि जलवायु परिवर्तन वर्तमान दौर में हिमालय में लोगों को प्रभावित कर रहा है और वन्यजीवों को खतरे में डाल रहा है। कई ग्लेशियर पिघल रहे हैं और झीलें बन रही हैं, जिनके फटने और नीचे की ओर बाढ़ आने का खतरा है। पारंपरिक जल स्रोत सूख गए हैं, जिससे पानी की आपूर्ति सीमित हो गई है।

उन्होंने बताया कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए भूगौलविदों को तत्परता के साथ कार्य करना होगा और आम जनमानस को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करना अत्यंत जरूरी है। आरएस बाली ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को ग्रामीण भारत में जलवायु अनुकूलन और वित्त परियोजनाओं के द्वितीय चरण के कार्यान्वयन हेतु जीआईजेड के सहयोग के अंतर्गत चुना गया है।

Climate change and disaster management

राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व प्रदान करने की ओर अग्रसर है। बाली ने बताया कि प्रारंभिक चरण में 19 गांवों को मॉडल इको विलेज योजना के तहत विकसित किया जा रहा है।

Climate change and disaster management

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर एच एन मिश्रा ने इस अवसर पर हिमालय में भूगोल, आपदा प्रबंधन एवं स्थिरता की चुनौतियां और समाधान पर व्याख्यान दिया। सेवानिवृत्त प्रोफेसर डा. भूपेंद्र सिंह माढ तथा भूगौलिक सोसाइटी ऑफ हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष डीडी शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

इस मौके पर प्रिंसिपल राकेश पठानिया और भूगौलिक सोसाइटी ऑफ हिमाचल प्रदेश के सचिव डा. बीआर ठाकुर ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। बाली ने स्मारिका का विमोचन किया और डा. सतिंद्र मलिक की पुस्तक “अर्थस एरियल इनसाइट” का विमोचन भी किया। इस अवसर पर सेमिनार के संयोजक संजय सिंह पठानिया, महापौर नीनू शर्मा सहित देश भर के विशेषज्ञ तथा शोधार्थी भी उपस्थित थे।