जिला बिलासपुर से 35 किलोमीटर दूर रतनपुर धार पर आज भी राजा दयानंद का 300 साल पुराना किला और कालकोठरी लोगों के लिए आकर्षित का केंद्र बनी हुई है। यह कालकोठरी आज भी दयोथ में देखी जा सकती है। राजाओं के समय के किले मलौण किला और मैथी खुई में आज भी देखे जा सकते हैं। लेकिन प्रशासन की अनदेखी के कारण किले की खस्ता हालत दयनीय हो गई है। शिवरात्रि के दो दिन हजारों लोग किले में मौजूद शिवलिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं लेकिन उन्हें मंदिर तक जाने के लिए उबड़-खाबड़ रास्ते से गुजरना पड़ता है।
मंदिर तक पक्का रास्ता ना होने के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस मंदिर में तीन का कारागार आज भी मौजूद है। जो लोग राजा के आदेश नहीं मानते थे, उन्हें इन कोठियों में रखा जाता था। यह 300 साल पुराना है। यहां पर एक पुराना शिवलिंग भी है। यह शिवलिंग लोगों के लिए आकर्षण केंद्र बना हुआ है। लोगों का मानना है कि जो शिवलिंग के सामने नंदी बैल विराजमान है। वहां पर जो लोग अपनी मुराद मांगते हैं वह हमेशा ही पूरी होती हैं शिवरात्रि पर यहां पर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
कोठरी नागा नंद बाबा आनन्द अखाड़ा ने बताया कि इस शिवलिंग की स्थापना राजाओं के समय में भी थी उस समय से यहां पर एक बोरी मौजूद है जिसमें 24 घंटे पानी बहता रहता है यह पानी कभी भी समाप्त नहीं होता है। गर्मियों में यह पानी ठंडा हो जाता है और सर्दियों में यह पानी गर्म हो जाता है। मंदिर और कारागार की दीवारों में चित्रकला मंदिर और कलाकारों की दीवारों में उसमें की चित्रकला देखी जा सकती है हिंदू देवी देवताओं के चित्र विचित्र के मंदिर पर शोभा बढ़ा रहे हैं लेकिन देख देख उन्हें से 300 साल पुराने दौरा हार की कगार पर है इस मंदिर में एक ऐसी लिपी है इसे पढ़ना असंभव है क्योंकि इस लिपि को कोई भी नहीं पढ़ सकता।