Advanced barley varieties in Himachal: हमीरपुर जिले के करोट गांव में हिमोत्थान सोसाइटी ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, शिमला के सहयोग से जौ की उन्नत किस्मों का फ्रंटलाइन प्रदर्शन आयोजित किया। इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक खेती और विलुप्त हो चुकी फसलों को पुनर्जीवित करना है, ताकि किसानों को अधिक पौष्टिक अनाज और बेहतर आर्थिक लाभ मिल सके।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, शिमला के कृषि वैज्ञानिक डॉ. मधु पटियाल ने किसानों को बीएचएस 400 और बीएचएस 380 किस्मों के बीज वितरित किए। उन्होंने बताया कि बीएचएस 400 मुख्यतः अनाज उत्पादन के लिए उपयुक्त है, जबकि बीएचएस 380 चारे और अनाज दोनों के लिए उपयोगी है। जौ से न केवल अनाज और चारा तैयार किया जा सकता है, बल्कि इससे बनाई जाने वाली रोटियां भी स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं।
हिमोत्थान सोसाइटी के कृषि विशेषज्ञ सुजैन कान्टा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पारंपरिक फसलें विलुप्त हो रही हैं, जिसे पुनर्जीवित करने के लिए यह पहल की गई है। किसानों को जौ की बुआई के लिए उन्नत तकनीकों की जानकारी दी गई, जिससे उनकी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार होगा।
कृषि पहल का हिस्सा बने रणदीप सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वजों की पारंपरिक खेती से उगाई गई फसलों में पौष्टिकता अधिक थी और यह लोगों के स्वास्थ्य और आयु दोनों के लिए लाभकारी होती थी। आधुनिकता के दौर में विलुप्त हुई इन फसलों को पुनः जीवित करने का यह प्रयास सराहनीय है। हिमोत्थान सोसाइटी के प्रयास से किसानों को उन्नत किस्मों और तकनीकों का लाभ मिलेगा, जिससे उनकी कृषि अधिक लाभकारी बनेगी।
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