करोड़ों के एससी-एसटी छात्रवृति घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर एसएफआई ने भी प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जिसको लेकर एसएफआई ने शिमला में धरना दिया और सरकार के ख़िलाफ़ ज़ोरदार नारेबाज़ी की।
एसएफआई के राज्य सचिवालय इकाई सदस्य हेमराज ने बताया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने सत्ता में आने से पहले अपने मेनिफेस्टो में एससी-एसटी छात्रवृत्ति को लेकर जांच करके इसे बहाल कारने की बात कही थी लेकिन साल बाद भी सरकार ने अभी तक इस दिशा में कुछ काम नही किया है जिस वजह से प्रदेश के एससी एसटी छात्रों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मामले को लेकर पहली बार दर्ज हुई FIR
लगभग 200 करोड़ के बहुचर्चित स्कॉलरशिप घोटाले में पहली एफआईआर दर्ज की गई है। भ्रष्टाचार का करोड़ों का मामला वर्ष 2016 में सामने आया था और पहले चरण में उच्च शिक्षा विभाग ने अपने स्तर पर ही जांच शुरू कर दी थी लेकिन घोटाला करोड़ों का होने के कारण प्रदेश सरकार ने घोटाले की जांच के लिए केस सीबीआई को सौंपा, लेकिन सीबीआई ने यह कहकर केस वापस भेज दिया कि पहले राज्य सरकार अपने आधार पर एफआईआर दर्ज करें। उसके बाद ही केस को स्टडी करेंगे।
उच्च शिक्षा विभाग ने सीबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार पहली एफआईआर छोटा शिमला पुलिस थाने में दर्ज करवा दी। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मामला दर्ज करने के बाद अब केस की फाइल गृह विभाग को जाएगी, जिसे जल्द ही सीबीआई को सौंपा जाएगा। बता दें कि वर्ष, 2013 से 2017 के बीच यानी चार साल में 266 करोड़ वजीफे बांटे गए, जिसमें से 80 फीसदी निजी शिक्षण संस्थानों ने ही डकार लिए।
मामले की पुष्टि करते हुए एसपी शिमला ओमपति जामवाल ने बताया की शिक्षा विभाग ने छात्रवृति घोटाले को लेकर थाना छोटा शिमला में मामला दर्ज करवाया है। जिसकी जांच की जा रही है। ये मामला धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज करवाया गया है।