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GST की गैप फंडिंग पर अग्निहोत्री ने CM से पूछे सवाल, स्पष्टीकरण देने को कहा…

पी. चंद शिमला |

GST की गैप फंडिंग पर नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को सवालों के कटघरे में खड़ा किया। अग्निहोत्री ने कहा कि क्या GST की गैप फंडिंग देने से केंद्र की मोदी सरकार ने इनकार कर दिया है? प्रदेश सरकार स्पष्ट करे कि क्या GST के शोर्ट-फॉल को केंद्र ने कर्ज़े के माध्यम से पूर्ति करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री यह भी बताएं कि क्या GST कांउसिल की बैठक में हिमाचल प्रदेश सरकार ने ऐसे किसी प्रस्ताव का विरोध किया था? 

उन्होंने दलील दी कि पिछले कुछ अरसे से अखबारों के माध्यम से यह बात सामने आ रही है कि GST फंडिंग केन्द्र सरकार ने रोक दी है और इस पर सरकार ने चुप्पी थामी हुई है। GST को लेकर केंद्र सरकार ने जून, 2022 तक राज्यों को शोर्ट-फॉल की भरपाई करने का भरोसा दे रखा था। हिमाचल प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार की भरपाई पर बहुत कुछ आश्रित करती है इसलिए क्या डबल ईंजन की सरकार का सारा दारमदार अब सिर्फ कर्ज पर ही आश्रित रहेगा? 

अग्निहोत्री ने कहा कि पहले ही जय राम सरकार ने कर्ज लेने में तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और अगर अब GST शोर्ट-फॉल भी कर्जे़ से पूरा होगा तो प्रदेश की अर्थव्यवस्था की हालत मौजूदा शासन में पूरी तरह गड़बड़ा जाएगी। सरकार बताएं कि इस दफा जो GST कलेक्शन का अनुमानित लक्ष्य रखा है उसमें राज्य में कितना शोर्ट-फॉल है और प्रदेश द्वारा एकत्रित किए जाने वाले GST की हिस्से में कितनी गिरावट आई है?

GST की लड़ाई केंद्र के साथ न लड़ना जयराम सरकार की बहुत बड़ी विफलता रहेगी। केंद्र ने जो वैकल्पिक रास्ते प्रदेश को सुझाए हैं वह जनता के समक्ष रखे जाएं। उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी जानना चाहा कि रेवेन्यू डैफिसिट ग्रांट को लेकर उनकी केंद्र सरकार से अभी तक क्या बात हुई है? पिछले दिनों वह वित्तायोग के चेयरमैन से मिलने दिल्ली गए थे और इस बातचीत का खुलासा जनता के दरबार में रखा जाए। मुकेश अग्निहोत्री ने दलील दी कि वित्तीय प्रबंधनों को लेकर सरकार को पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने अब प्लान और नॉन प्लान के भेद को मिटा दिया है और अब प्लानिंग और वित्तायोग के चेयरमैन जैसे पदों की सरकार में क्या जरूरत रह गई है। वैसे भी नीति आयोग के बाद योजना आयोग जैसे संस्थानों का कोई महत्व नहीं रहा है तो लगातार इन नेताओं को इन कुर्सियों से क्यों नवाज़ा जा रहा है। सरकार ने विकास कार्यों पर पहले ही 35 प्रतिशत बजट खर्च करने की लिमिट लगा रखी है। इससे जाहिर है कि सरकार के पास विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं है।

इसके बावजूद भी मुख्यमंत्री सारे प्रदेश में ऑन-लाइन शिलान्यास करके जनता को गुमराह कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने जो मार्च महीने में बजट पेश किया था उससे मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से कैसे पुर्नअंकित किया जाए और प्रदेश की जनता को बताया जाए कि घोषित मदों की अब ताजा स्थिति क्या है। प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों के अनस्पैंट मनी को एकत्रित कर खर्च करने की कोई योजना बनाई है। सरकार इस बारे में प्रशासनिक आदेशों की बजाय राज्य विधान सभा से इसकी मंजूरियां हासिल करें अन्यथा यह विधायिका के अधिकार क्षेत्र पर अतिक्रमण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति विस्फोटक होती जा रही है और राज्य सरकार ने खर्चों में कटौती को लेकर कोई कदम नहीं उठाए हैं।