कांगड़ा जिला में अब भूकंप, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से पहले ही जानकारी मिल सकेगी। इसके लिए जिला के विभिन्न 10 स्थानों पर पूर्व चेतावनी प्रणाली और सिंथेटिक एपर्चर रडार आधारित कांगड़ा जिला का प्रोफाइल तैयार किया जाएगा। इसको लेकर जिला प्रशासन कांगड़ा और आईआईटी मंडी के बीच एमओयू साइन हुआ है। डीसी कांगड़ा निपुण जिंदल ने बताया कि कांगड़ा जिला भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आता है। इसके साथ ही भूस्खलन के कारण भी हर साल लाखों का नुक्सान झेलना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि भूस्खलन और भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित होने से नुक्सान को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कमांद जिला मंडी के वैज्ञानिकों के साथ एक एमओयू साइन किया गया है। एमओयू के तहत सिंथेटिक एपर्चर रडार के माध्यम से भूकंप, भूस्खलन जैसे प्राकृतिक खतरों और कुछ जटिल प्रक्रियाओं को मापा जा सकता है। इसी तकनीक को कांगड़ा जिला के लिए भी विकसित करने बारे एमओयू साइन किया गया। इसके साथ ही कांगड़ा जिला के दस विभिन्न जगहों पर आधुनिक तकनीक से लैस पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने पर भी सहमति बनी है। इसके साथ ही विभिन्न जगहों में चेतावनी के लिए हूटर और ब्लींकर्स भी स्थापित करने के लिए एमओयू साइन किया गया है।
उपायुक्त ने कहा कि पूर्व चेतावनी के टेक्स्ट मैसेज की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया है ताकि समय रहते लोगों तक सूचना पहुंच सके। उन्होंने कहा कि आईआईटी मंडी के वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट के तहत भूस्खलन एवं प्राकृतिक आपदाओं के डाटा का अनुसंधान के लिए भी उपयोग कर सकते हैं ताकि प्राकृतिक आपदाओं से आम जनमानस के बचाव के लिए भविष्य में बेहतर कार्य किया जा सके। उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट की फंडिंग आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के माध्यम से की जाएगी इस के लिए समय भी निर्धारित किया गया है। इस अवसर पर एडीएम रोहित राठौर भी उपस्थित थे जबकि आईआईटी कमांद प्रशासन की ओर से वर्चअल तौर पर एमओयू साइन किया गया।