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प्रदेश सरकार की गलत नितियों के खिलाफ सडक़ों पर उतरी घुमंतु पशुपालक महासभा

मनोज धीमान |

प्रदेश सरकार की गलत नितियों का शिकार हो रहे घुमंतु पशुपालक महासभा अपने हक के लिए सडक़ों पर उतर आई है। सोमवार को प्रदेश घुमंतु पशुपालक महासभा ने धर्मशाला में सरकार के खिलाफ रैली निकालकर धरना प्रदर्शन किया। इसके पश्चात महासभा ने डी.सी. के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजा। मुख्यमंत्री को भेजे मांग पत्र में महासभा के राज्य इकाई प्रधान राजकुमार ने बताया कि वर्ष 1988 में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में भेड़ पालकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए प्राथमिक उन उत्पादक सहकारी सभाओं का गठन किया गया था।

इन सहकारी सभाओं की सदस्यता के आधार पर ही प्रदेश वूल फैडरेशन का भी गठन हुआ। प्रदेश में गठित वूल फैडरेशन का मुख्य कार्य प्रदेश के सभी ऊन उत्पादकों से उचित मूल्य में ऊन खरीद, ऊन कतराई सुविधा, ऊन गुणवत्ता बढ़ाना, ऊन केंद्र स्थापित करना एंव ऊन प्रौसेसिंग का कार्य करके बाजार में पहुंचाकर उचित मूल्य ऊन उत्पादकों को सुनिश्चित करना था ताकि प्रदेश के ऊन उत्पादकों की आर्थिकी मजबूत हो सके। लेकिन अब वूल फेडरेशन की खामियां घुमंतु भेड़पालकों की परेशानी का सबब बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वूल फैडरेशन को केवल राजनीतिक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। राजकुमार ने कहा कि वूल फैडरेशन की सदस्य 24-25 प्राथमिक सभाओं से अब 18-20 ही नाम मात्र चल रही हैं, जो कि कोई भी कार्य नहीं कर रही। जिससे भेड़ पालकों को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।

यही नहीं महासभा ने वूल फैडरेशन से मशीनों द्वारा प्रदेश के सभी भेड़पालकों को उनके चिन्हित स्थानों में उचित समय पर शीप शेयरिंग की सेवाएं प्रदान करवाने का भी आग्रह किया है। राजकुमार ने बताया कि शीप शेययरों के हड़ताल पर जाने के चलते भेड़पालकों का ऊन कतराई का कार्य नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि वूल फैडरेशन हड़ताल पर गए शीप शेयररों को काम पर लौटने के लिए मनाए, जिससे कि ऊन कतराई समय पर हो सके तथा भेड़पालकों को उसका लाभ मिल सके।