ऊना के बंगाणा उपमंडल की बल्ह खोली निवासी अंजू वाला ने समाज में जागरूकता लाने के लिए एक अनोखी मिसाल कायम की है। अंजू अपने हुनर से घरों में व्यर्थ समझकर फेंक देने वाले सामान का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों में उतार देती हैं।
कुटलैहड़ पब्लिक स्कूल बल्ह में बतौर अध्यापिका कार्यरत अंजू वाला को बचपन से ही पेंटिंग और कलाकृतियां बनाने का शौक था। जिसके बाद अंजू ने घर में बेकार सामान को इस्तेमाल में लाते हुए लोगों को देश में फैली विभिन्न कुरीतियों के प्रति जागरूक करने का बीड़ा उठाया। अंजू द्वारा बनाई गई कलाकृतियां खुद बोलती हैं। देखने वाले को देखकर कुछ पूछने की जरूरत हीं नहीं पड़ती। इनमें से पर्यावरण जागरूकता व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश लोगों को मिलता है।
अंजू ने पेंसिल के छिलकों से जहां एक गुड़ियां की कलाकृति तैयार कर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का संदेश दिया है वहीँ पेन्सिल के छिलकों से ही एक पेड़ का चित्र बना पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी लोगों को जागरूक कर रही है। यही नहीं अंजू ने बदाम के छिलकों, टूटी हुई कांच की चूड़ियों, फ़टे पुराने कपड़े, टूटे खिलौनों सहित घर के बेकार सामान से बहुत ही सुंदर-सुंदर कलाकृतियां तैयार की हैं।
अंजू ने बताया कि उनको बचपन से ही इस तरह का शोंक है। घर में व्यर्थ पड़े समान को बाहर फेंकने की बजाए इस्तेमाल में लाना उनकी आदत में शुमार है। वह अक्सर घर मे पड़े वेस्ट मेटेरियल से इस तरह की चीजें बनाती रहती है। यही नहीं स्कूली बच्चों को भी वह वेस्ट मेटेरियल को इस्तेमाल में लाने का संदेश देती हैं। जिसकी सभी सराहना भी करते हैं।
आमतौर पर लोग बेकार में पडी पेंसिल के छिलकों, रबड़, कागज, ऊनि कपड़े, पेंसिलों के ढक्कन, साबुन के रैपर, मूंगफली के छिलके इत्यादि को बाहर कूड़ेदान में फेंक देते हैं लेकिन अंजू की मानें तो इनमें रंग भरकर इनमें नई जान भर दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सकता है। जिससे घर में सजावटी समान बनाया जा सकता है। घर की डेकोरेशन में भी चार चांद लग जाते हैं। अंजू ने स्कूल में भी नन्हे बच्चों को यह हुनर सिखाया है और वह अपने क्षेत्र ने लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। लोगों ने भी अंजू के इस प्रयास व मुहिम को सराहा है।