Categories: हिमाचल

फोर्टिस कांगड़ा के नाम एक और उपलब्धि, डॉ. पुनीत आनंद और डॉ. ज्योत्सना ने प्रिमेच्योर बेबी को दी सांसें

<p>फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा के नाम एक और उपलब्धि&nbsp;जुड़ गई है। अस्पताल के कांगड़ा के नवजात एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पुनीत आनंद एवं डॉ ज्योत्सना शर्मा ने प्रिमेच्योर डिलिवरी करवाने में सफलता पाई है। दरअसर अस्पताल में एक सात माह की गर्भवती महिला क्रिटिकल अवस्था में आई, जिसकी हालत बहुत नाजुक थी। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि जच्चा और बच्चा दोनों को बचाने के लिए एमरजेंसी में सीजेरियन द्वारा प्रसव करना ही एक विकल्प है। इस सीजेरियन में नवजात शिशु का जन्म के समय वजन मात्र 1300 ग्राम था। अब बच्चे को बचाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, जिसे फोर्टिस कांगड़ा के नवजात एवं बाल रोग विशेषज्ञ डॉ पुनीत आनंद एवं डॉ ज्योत्सना शर्मा की निगरानी में भर्ती किया गया।</p>

<p>जन्म के तुरंत बाद बच्चे को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी। प्रिमेच्योर डिलिवरी के चलते बच्चे के फेफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं थे। बच्चे को तुरंत बाद शिशु को एनआईसीयू में भर्ती किया गया। बच्चे के फेफड़ों में एक पदार्थ डाला गया, जिसे सर्फक्टेंट कहा जाता है। इस पदार्थ से प्रि-टर्म बच्चों के फेफड़ों को काम करने में मदद मिलती है। उसके बाद बच्चे को वेंटिलेटर पर रखा गया।</p>

<p>नवजात को इन्फेक्शन से बचाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी, लेकिन फोर्टिस कांगड़ा के एनआईसीयू स्टाफ ने अपनी निपुण कार्यकुशलता का परिचय दिया। बच्चे को पहले ट्यूब से दूध पिलाने के बाद धीरे-धीरे मां का दूध पिलाया गया। इस पूरे ट्रिटमेंट में लगभग एक माह का समय लगा और फोर्टिस कांगड़ा ने अपनी बेहतरीन एवं उम्दा सर्विस का परिचय देते हुए बच्चे को अस्पताल से डिस्चार्ज किया। इस पूरी प्रक्रिया में फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा की एनआईसीयू नर्सिंग टीम ने पूरे एक माह की गहन देखभाल के चलते बच्चे को नया जीवन दिया।</p>

<p>इस संबंध में डॉ पुनीत आनंद ने कहा कि विश्व में प्रिमेच्योर बर्थ से पैदा हुए बच्चों के मरने संख्या काफी अधिक है। बच्चा जब 37 हफते की प्रेग्नेंसी के पहले ही जन्म लेता है, तो उसे प्रिमेच्योर बर्थ कहते हैं। देश में एक साल में लगभग 36 लाख बच्चे प्रिमेच्योर बर्थ से पैदा होते हैं, जिनमें से 10 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इन बच्चों को बचाना बहुत ही मुश्किल होता है, लेकिन फोर्टिस अस्पताल कांगड़ा में स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स, आधुनिक एनआईसीयू, प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ एवं विश्वस्तरीय सुविधाओं के चलते प्रिमेच्योर बेबी को बचाना मुमकिन है।</p>

Samachar First

Recent Posts

दडूही पंचायत के ग्रामीण बोले, “नगर निगम में शामिल नहीं होना चाहते”

Himachal Villagers Protest Tax Burden: हमीरपुर जिले की दडूही पंचायत के  ग्रामीण सोमवार को उपायुक्त…

2 hours ago

नाहन के चौगान मैदान में खो-खो का रोमांच

Nahan Kho-Kho Tournament: सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान में अंतर महाविद्यालय खो-खो…

2 hours ago

हमीरपुर में भाजपा ने जोड़े 1.05 लाख नए सदस्य, गुटबाजी के आरोप खारिज

Hamirpur BJP Membership Drive: हिमाचल प्रदेश में 3 सितंबर से शुरू हुए भारतीय जनता पार्टी…

2 hours ago

कांग्रेस नेता बोले, विकट परिस्थितियों में जनता के लिए फैसले लिए, भाजपा करती रही षड्यंत्र

Himachal Congress vs BJP: कांग्रेस के पूर्व मुख्य प्रवक्ता प्रेम कौशल ने भाजपा के 11…

2 hours ago

हाईकोर्ट ने एचपीटीडीसी के होटलों को बंद करने के आदेश पर लगाई रोक

हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे 9 और…

4 hours ago

हिमाचल भवन की कुर्की टली: सरकार हाईकोर्ट में जमा करेगी 64 करोड़

Himachal Govt ₹64 Crore Payment: दिल्ली स्थित हिमाचल भवन की कुर्की से बचाने के लिए…

9 hours ago