<p>पशु चिकित्सा अधिकारी रानीताल डॉ.सर्वेश गुप्ता ने मुर्गियों को ‘‘बर्ड फ्लू’’ से बचाने के लिए लोगों से प्रांरभिक रोकथाम व नियंत्रण के उपाय करने की अपील की है। डॉ.गुप्ता ने बताया कि लोग फार्म व बाड़े में जाने के लिए अलग जूते या चप्पलों का इस्तेमाल करें। फार्म या बाड़े के बाहर फृटपाथ बनाएं जिन्हें फिनाईल, फॉरमलिन या कीटाणु नाशक घाल का प्रयोग करें या फुटपाथ में चूने का प्रयोग भी किया जा सकता है। फार्म या बाड़े में जाने से पहले अपने हाथ साबुन से धोकर जाएं। फार्म या बाड़े के चारों तरफ नियमित रूप से चूने का छिड़काव करें। फार्म या बाडे़ में पड़े छिद्रों को बन्द करें जिससे चूहे व नेवले अंदर न प्रवेश कर सकें। फार्म या बाडे़ के चारों तरफ उगी ऊंचीं झाड़ियों व ऊंचे पेड़ों की टहनियों को काटे जिससे कौवे, चील व गिद्ध जैसे मांसाहारी पक्षी उस पर न बैठ सकें।</p>
<p>डॉ.सर्वेश गुप्ता ने बताया कि मुर्गी पालकों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मांसाहारी व प्रवासी पक्षियों का मल किसी भी तरीके से फार्म में रखी मुर्गियों के संपर्क में न आए। घरेलू मुर्गी पालन या देसी मुर्गी पालने वाले किसानों की मुर्गियां भोजन की तलाश में अक्सर नाली या घर के पिछवाड़े में घूमती हैं। इसीलिए इन किसानों को विशेष ध्यान देना चाहिए और एहितयात के तौर पर उनके दाने-पानी की व्यवस्था बाड़े में उपलब्ध करनी चाहिए जिससे उनकी मुर्गियों को भोजन के लिए खुले में विचरण न करना पड़े। ऐसा करने से उनका संपर्क मांसाहारी व प्रवासी पक्षियों के मल से नहीं होगा। जिन मुर्गी पालकों ने घर में कुत्ते पाल रखे हैं, वे उन्हें बांध कर रखें और उनके भोजन की व्यवस्था उनकी जगह पर ही करें।</p>
<p>उन्होंने बताया कि फार्म में आवारा कुत्ते न आएं इसीलिए किसानों को फार्म के चारों तरफ बाड-बन्दी करनी चाहिए। मुर्गी फार्म से निकलने वाले कूड़े में अक्सर अनाज के दाने रहते हैं, इसीलिए किसानों को कूड़े का उचित प्रबन्ध करना चाहिए, जिससे पक्षी व चूहे उस तरफ आकर्षित न हों। मुर्गी फार्म में मृत पक्षियों के लिए अलग से गड्ढे की व्यवस्था करनी चाहिए जिससे नेवले, आवारा कुत्ते व जंगली जानवर उस तरफ न आ सकें। उन्होंने बताया कि यह सभी जैव सुरक्षा उपाय ‘‘बर्ड फ्लू’’ को मुर्गियों में फैलने के संभावित खतरे को रोकने में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।</p>
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