माकपा ने परवाणू के एचपीएमसी प्रोसेसिंग यूनिट में साढ़े अठारह मीट्रिक टन ऐप्पल कंसन्ट्रेट ग़ायब होने की जांच की मांग की है। पार्टी ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायधीश से होनी चाहिए। पार्टी ने इस मसले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री से एचपीएमसी के चेयरमैन बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह को मंत्री पद से हटाने की मांग भी की है।
पार्टी राज्य सचिव डॉ ओंकार शाद ने परवाणु के एचपीएमसी प्रोसेसिंग यूनिट से साढ़े अठारह मीट्रिक टन एप्पल कंसन्ट्रेट के गायब होने पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि इस एप्पल कंसन्ट्रेट की कीमत बीस लाख रुपये से ज़्यादा है। इस मामले को रफ़ा-दफा करने के लिए बागवानी विभाग और एचपीएमसी ने दो विभागीय जांचें करवाकर पल्ला झाड़ लिया। वास्तव में ये जांचें दोषियों को पकड़ने के लिए नहीं बल्कि उन्हें बचाने के लिए थीं।
पार्टी प्रदेश सरकार से मांग करती है कि दूध का दूध और पानी के पानी करने के लिए इस पूरे भ्रष्टाचार की जांच माननीय उच्च न्यायालय के सेवारत न्यायधीश से होनी चाहिए। इतना बड़ा घोटाला आम कर्मचारी नहीं कर सकते हैं। इस पूरे घटनाक्रम के लिए एचपीएमसी के चेयरमैन और आला अधिकारी जिम्मेदार हैं। इसलिए निष्पक्ष जांच सुनिश्चचित करने के लिए एचपीएमसी के चेयरमैन और बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह को मंत्री पद से तुरन्त हटाकर निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।
वह एचपीएमसी के चेयरमैन हैं और सरकार के मंत्री भी हैं। अतः न्यायधीश की जांच के बिना यह जांच महज़ एक औपचारिकता होगी, क्योंकि इसमें हितों का टकराव है। पार्टी ने कहा है कि पहले से ही सरकार की बेरुखी झेल रहे हैं और संकटग्रस्त एचपीएमसी में बीस लाख के इस भारी भरकम घोटाले से एचपीएमसी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है जिसके लिए प्रदेश सरकार औऱ बागवानी मंत्री पूर्णतः जिम्मेवार हैं।