हिमाचल प्रदेश की 5000 करोड़ की आर्थिकी सेब मंडियों में आना शुरू हो गया है। शिमला की भटाकूफर फल मंडी में करसोग और लोअर शिमला से अर्ली किस्म का सेब पहुंचने शुरू हो गए हैं। ओलावृष्टि की वजह से इस बार सेब का आकार नहीं बन पाया साथ ही फल दागी होने के चलते बागवानों को ज्यादा अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। लेकिन जो अच्छी फसल है उसके दाम 1000-1900 तक प्रति पेटी दाम मिल रहे हैं। इस बार सेब की फसल तो सामान्य हुई लेकिन मौसम की मार से फसलों पर विपरीत असर पड़ा है जिसकी वजह से मार्किट में दाम कम हैं। पिछले सप्ताह भर से शिमला सेब मंडी में निचले पहाड़ी क्षेत्रों का सेब पहुंच रहा है।
मंडी में सेब की फसल बेचने पहुंचे बागवानों ने बताया कि इस बार बेमौसमी ओलावृष्टि और तूफान के कारण सेब की फसल को भारी नुकसान हुआ है। जिस वजह से सेब का आकार भी छोटा रह गया। सेब में दाग भी हैं जिस वजह से दाम नहीं मिल पा रहे हैं। पिछले वर्ष के मुक़ाबके सेब के दाम उन्हें कम मिल रहे हैं। सेब के कार्टन का दाम 20 रुपए प्रति बढ़ गया है। खाद व कीटनाशकों के दाम पर ज्यादा खर्च हो रहा है बदले में दाम कम मिल रहे हैं।
बता दें कि देश में कोविड के चलते लॉकडाउन था जिस वजह से भी सेब की बाजार में मांग कम है लेकिन आने वाले दिनों में सेब के अच्छे दाम मिलने की उम्मीद है। सेब आढ़ती ने बताया कि मंडी में स्पर, टाइड मैन, गैल, गाला किस्म के सेब पहुंच रहे हैं। लेकिन बीते वर्ष की तुलना में इस बार दाम कम हैं। सेब में आकर के अलावा दाग भी हैं। बाबजूद इसके जो अच्छी क़िस्म का सेब है उसके दाम 1900 रुपये प्रति पेटी तक मिल रहे हैं।
महाराष्ट्र से सेब खरीदने पहुंचे व्यापारी ने बताया कि कोरोना की वजह से सेब कम बिक रहा है। क्योंकि महाराष्ट्र में 2 बजे के बाद बन्द रहता है। ऐसे में सेब उस हिसाब से बिक नहीं रहा है। सड़क किनारे जो रेहड़ी में सेब बिकता है वह भी कम बिक रहा है। उसका असर मंडी पर भी पड़ता है इसलिए भी सेब के दाम कम हैं। आगे हालात यदि सामान्य होते है तो सेब के दाम बढ़ सकते हैं।
यहां गौर करने वाली बात ये है कि मार्किट में सेब के दाम 250 से 300 रुपए प्रति किलो है। जबकि अभी जो मंडी में जो तीन चार क़िस्म का सेब आ रहा है उसके दाम बागवानों को 40 रुपये से लेकर 90 रुपए किलो तक मिल रहे हैं। वैसे एक सेब की पेटी में 25 किलो के आसपास सेब आता है। सेब का ये शुरआती दौर है ये सेब सीजन अभी अक्टूबर माह तक चलेगा। क्योंकि अकेले शिमला में ही इस मर्तबा 2 करोड़ से ज्यादा सेब की पेटियां होने का अनुमान है। हिमाचल के अधिकतर सेब बाहरी राज्यों में जाता है। अब बागवान सीधा अपनी फ़सल बाहर की मंडियों में भी ले जाते है।