माउंटेन गोट एक्सपीडिशन सीजन 11 तीन दिन स्पीति घाटी में रही । करीब 200 के करीब पर्यटकों ने तीन दिनों तक स्पीति के विभिन्न पर्यटक स्थलों का भ्रमण किया। ताबो,काजा, फलदर मैदान, रंगरिक, मुरंग, चिचिम ब्रिज, कीह, लांगचा आदि स्थलों से होती हुई एक्सपीडिशन गुजरी।
वीरवार को स्पिति से रामपुर के एक्सपीडिशन को एडीसी राहुल जैन ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
विधायक रवि ठाकुर ने अपने संदेश में कहा कि माउंटेन गोट एक्सपीडिशन इस साल 80 से अधिक गाड़ियों के साथ स्पिति पहुंचा है। स्पिति के पर्यटन को और मजबूत करने की दिशा में इस तहर की एक्सपीडिशन बहुत मददगार साबित हो रही हैै। पिछले कुछ सालों में विंटर टूरिज्म स्पिति में निखर रहा हैै। प्रदेश सरकार टूरिज्म को विकसित करने के लिए आधार भूत ढांचा तैयार कर रही है। इस साल के बजट में काजा और चंद्रताल को टूरिज्म के हिसाब से और विकसित करने की योजना बनाई गई है।
एडीसी राहुल जैन ने कहा कि स्पिति में एक साथ 200 से अधिक लोगों को ग्रुप आने से यहां के लोगों को रोजगार भी मिलता है। वहीं स्पिति के पर्यटन स्थलों को बढ़ावा भी मिलता है। सर्दियों में होने वाली एक्सपीडिशन से अब स्पिति में में साल भर पर्यटन का कारोबार हो रहा है। कृषि के बार पर्यटन लोगों की आय का दूसरा बड़ा स्त्रोत बन कर उभर रहा है। स्थानीय प्रशासन हर संभव सहायता प्रदान करने की कोशिश करता है।
माउंटेन गोट के संस्थापक सूरज ने बताया कि सीजन 11 बहुत ही बेतरीन रहा है। जब से स्पिति घाटी में पहुंचे है बर्फबारी निंरतर हो रही है। हमारी एक्सीपीडिशन में देश के कौने कौने से और नेपाल से पर्यटक आए हुए है। अपनी गाड़ियों के साथ बर्फ में गाड़ी चलाना आसान काम नहीं है। यह हमारे लिए परिवार की तरह है। हर साल हमारा परिवार बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार, पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन काजा का सहयोग हमें निरंतर मिलता है। मुख्यमंत्री सुखविदर सिंह सुक्खू का हम आभार व्यक्त करते है कि उन्होंने हमें काफी प्रोत्साहित किया है।
माउंटेन गोट एक्सपीडिशन की शुरुआत 2015 में सूरज तायल और शाश्वत गुप्ता की जोड़ी ने की थी। जहां सूरज ने ऑकलैंड यूनिवर्सिटी, न्यूजीलैंड से पर्यटन प्रबंधन में विशेषज्ञता हासिल की है, वहीं शाश्वत ने कार्डिफ यूनिवर्सिटी, यूनाइटेड किंगडम से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है। इस प्रकार की मोटर रैली का आयोजन किया जाता रहा है, जिनमें रोमांच के साथ-साथ खतरा भी रहता है, जिसके लिए सभी प्रतिभागियों को बेहतर तैयारी की गई है। आयोजनकर्ताओं ने बताया कि आमतौर पर ऐसी रैली मई-जून के महीने में आयोजित की जाती है परंतु इस रैली का आयोजन फरवरी माह में किया जा गया है ताकि बर्फबारी का आनंद भी प्रतिभागी ले सकें।
इसलिए प्रतिभागियों को सुरक्षा का अधिक ध्यान रखा गया और साथ ही अच्छी किट, पर्याप्त मात्रा में खाने का सामान साथ रखना है । आठ दिवसीय रैली शिमला से रवाना हुई थी। प्रदेश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। प्रतिभागियों को कई ग्लेशियर और हिमखंड के रास्तों से गुजरना होगा जोकि रोमांचक होने के साथ-साथ खतरों से भी भरा है।
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