एशियन गेम्ज 2018 में रजत पदक विजेता धाविका सुधा सिंह इन दिनों धर्मशाला भ्रमण पर हैं। अघंजर महादेव मंदिर में मांगी गई मन्नत पूरी होने पर मंदिर में शीश नवाने पहुंची यूपी के रायबरेली की रहने वाली 32 वर्षीय धाविका सुधा सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि बचपन में उनका मन पढ़ाई से ज्यादा खेल में लगता था। टयूशन के लिए जाने के लिए वह पहले ही घर से निकल जाती थी और कभी तो दौड़ लगाने के लिए टयूशन मिस कर देती थी।
सुधा ने कह कि एक दिन की प्रैक्टिस से सफलता नहीं मिलती इसके लिए रेग्युलर अभ्यास की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि वह धर्मशाला में भी प्रेक्टिस कर चुकी हैं। धर्मशाला में सिंथेटिक ट्रैक ऊंचाई पर है, ऐसे स्थान पर प्रेक्टिस के परिणाम सार्थक रहते हैं। धर्मशाला का सिंथेटिक ट्रैक इंडिया का बेहतरीन ट्रैक है, इससे पहले वह ऊटी में प्रेक्टिस करती थी। एशियन गेम्ज में जीते मैडल पर सुधा ने कहा कि यह मैडल मेरा नहीं, बल्कि पूरे इंडिया का है। मैडल कभी अकेले का नहीं होता, बल्कि इसमें सभीका सहयोग रहता है।
गौरतलब है कि सुधा सिंह ने एशियन गेम्स 2018 में महिलाओं की 3000 मीटर स्टीपलचेज प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल किया है। यूपी सरकार ने उन्हें डिप्टी डायरेक्टर का पद ऑफर किया है, जिसका अभी पेपर वर्क जारी है। सुधा सिंह ने वर्ष 2010 मे चीन में आयोजित एशियन गेम्स में गोल्ड मैडल जीता था। इसके अतिरिक्त प्रदेश, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर चुकी हैं। अब सुधा का फोकस आगामी वर्ष होने वाली एशियन चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप पर है, जिसका कैंप बैंगलोर में लगना प्रस्तावित है।