मंडी जिला के जोगिंद्रनगर में स्थित एशिया की पहली 110 मेगावाट पन विद्युत परियोजना में 120 मेगावाट से अधिक का उत्पादन बढ़ाने के लिए पंजाब विद्युत बोर्ड ने कसरत शुरू कर दी है.
हाल ही में एक सदी पुरानी मशीनरी के जीर्णोद्धार पर 22 करोड़ की धनराशि खर्च की गई है. अब स्विचयार्ड की मरम्मत के लिए एक करोड़ की धनराशि खर्च की जा रही है. इसका लाभ हिमाचल और पंजाब के विद्युत उपभोक्ताओं को मिलेगा.
अन्य परियोजनाओं के ग्रिड अचानक फेल होने से दोनों राज्यों में ब्लैकआउट की आशंकाओं को दूर कर 132 केवी स्विचयार्ड के आउटलेट और अन्य विद्युत उपकरणों को नए सिरे से स्थापित किया जा रहा है.
15 मई के बाद परियोजना में विद्युत का उत्पादन शुरू होगा. यहां करीब 15 मेगावाट की प्रतिदिन बढ़ोतरी करने की तैयारी है. दशकों पुराने ट्रांसफार्मरों खस्ताहाल रनर को पहले ही बदला जा चुका है.
पावर हाउस में 12 एमबीए के सात और 19 एमबीए के चार ट्रांसफार्मरों पर 15 करोड़ की धनराशि खर्च करने के बाद अब 132 केवी सब स्टेशन और स्विचयार्ड को नया स्वरूप दिलाने के लिए आधुनिक उपकरण लगाने का कार्य प्रगति पर चल रहा है.
मरम्मत कार्य पूरा होने के बाद परियोजना प्रबंधन को प्रतिदिन करोड़ों रुपये की आमदनी होगी. 110 मेगावाट की जगह 125 मेगावाट विद्युत उत्पादन होगा.
1925 में ब्रिटिश सरकार के साथ हुए 99 साल का करार भी 2024 में पूरा होगा. पंजाब की विद्युत परियोजना को हिमाचल सरकार के अधीन लाने के लिए सरकार ने भी पत्राचार शुरू कर दिया है.
1932 में 66 मेगावाट विद्युत उत्पादन वाली इस परियोजना में 1982 में 110 मेगावाट का विद्युत उत्पादन शुरू हो गया था. हिमाचल से लाहौर तक बिजली आपूर्ति करने वाली शानन परियोजना मंडी जिला के जोगिंद्रनगर में स्थापित है.
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