Follow Us:

हिमाचल की जेलों में किताबें पढ़कर संस्कारवान बनेंगे कैदी

मृत्युंजय पूरी |

हिमाचल में कैदियों को संस्कारवान बनाने के लिए पुस्तकों का सहारा लिया जाएगा। उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों के साथ साहित्य पढ़ाया जाएगा। हिमाचल की जेलों में कैदियों के लिए पुस्तकालय स्थापित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके लिए नेशनल बुक ट्रस्ट से बात चल रही है। डीजीपी जेल सोमेश गोयल ने शनिवार को जिला एवं मुक्त कारागार धर्मशाला में कहा कि जो सर्वे किया है, उसके आधार पर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों में से 6 फीसदी अशिक्षित हैं। जबकि, 9 फीसदी कैदी स्नातक या उससे ऊपर पढ़े लिखे हैं।

उन्होंने बताया कि 85 फीसदी कैदी ऐसे हैं, जो कि 10वीं व 12वीं पास हैं। उन्होंने कहा कि जो कैदी अशिक्षित हैं, उन्हें तत्काल प्रभाव से पढ़ाने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके लिए ओपन स्कूल को माध्यम बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो कैदी पढ़े लिखे हैं, वो भी अशिक्षित कैदियों को पढ़ा सकते हैं, ऐसी व्यवस्थाएं बनाने के निर्देश जारी किए गए हैं।

डीजीपी जेल ने बताया कि प्रदेश की जेलों में स्थापित किए जाने वाले पुस्तकालयों में कैदियों की संख्या के अधार पर पुस्तकें उपलब्ध हो सकें, इसके प्रयास किए जाएंगे। यही कारण है कि हमारी ओर से नेशनल बुक ट्रस्ट से इस बारे बातचीत की जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि एनबीटी के सहयोग से शीघ्र ही प्रदेश की जेलों में पुस्तकालय स्थापना का कार्य पूरा होगा। इससे पहले डीजीपी जेल सोमेश गोयल ने जिला एवं मुक्त कारागार धर्मशाला में नवनिर्मित ओपन एयर ब्लॉक का उदघाटन किया।

उन्होंने जेल परिसर में चल रहे निर्माण कार्यों का भी जायजा लिया। इस अवसर पर जिला कारागार धर्मशाला के डिप्टी सुपरीटेंडेंट विनोद चंबियाल सहित अन्य जेल अधिकारी और स्टाफ सदस्य उपस्थित रहे। शिमला स्थित कंडा जेल में कैदी तैयार कर रहे होटल यूनिफार्म कंडा जेल में होटल यूनिफार्म सिलाई का काम भी कैदियों से करवाया जा रहा है, जिसके लिए जेल प्रशासन ने होटल एसोसिएशन से बात करके उन यूनीफार्म की बिक्री का भी इंतजाम किया है।

अब प्रदेश जेल प्रशासन रेडीमेड कपड़ों के क्षेत्र में भी उतरने जा रहा है, जिसके माध्यम से लोगों को बाजार से सस्ते कपड़े उपलब्ध करवाए जाएंगे। कैदियों को काम देने का ही परिणाम है कि प्रदेश में 150 के लगभग कैदी बाहर काम करने जाते हैं, यही नहीं महिला कैदियों को भी इसी तरह कार्य उपलब्ध करवाया जा रहा है। जेलों में हैंडलूम कार्य को भी शामिल करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।

प्रदेश की जेलों में सजा काट रहे कैदियों के हर हाथ को काम प्रोजेक्ट के तहत जिलों में काम करने वाले कैदियों के वेजिस में इजाफा होने के साथ जेलों के उत्पादों की बिक्री में वृद्धि हुई है। पहले कैदियों को वेजिस के रूप में 5 से 6 लाख रुपये दिए जाते थे, वहीं अब यह आंकड़ा 1.05 करोड़ तक पहुंच गई है।

वहीं, जेल उत्पादों का टर्न ओवर 23 लाख से बढ़कर 3.28 करोड़ तक पहुंच गया है। कंडा जेल में होटल यूनिफार्म तैयार किए जा रहे हैं, जिसकी बिक्री के लिए होटल एसोसिएशनों से बातचीत की गई है। शीघ्र ही जेलों में हैंडलूम कार्य भी शुरू किए जाएंगे।