Follow Us:

सिरमौरः संगडाह, शिलाई क्षेत्र के बांस बुनकर आज भी अपनी आजीविका के साधन पर निर्भर

पी.चंद, शिमला |

जिला सिरमौर में आज भी कुछ ऐसे गांव है जहां लोग अपनी आर्थिक आजीविका पर निर्भर है। ऐसा ही सिरमौर के संगडाह और शिलाई गांव के किसान अपनी गौशाला से गोबर इकट्ठा करते है और अपने खेतों में डालने के लिए वह धिल्ले यनि किल्टा, ओडकी आदि का इस्तेमाल करते है। जिसमें किसान गोबर को असानी से ले जाते हैं।  

बांस बुनकर रणदीप  चौहान औऱ सुंदर सिहं तुमरघ्ज ने कहा कि धिल्ले ओडकी को बनाने के लिए बांस बुनकर अपने खेतों में ही बांस को उगाते हैं औऱ शमालू, तूंग के दल बनाकर धिल्ले को तैयार किया जाता है। धिल्ले बनाने के लिए पहले बास औऱ तुंग, शमालू को चीर फाड कर तराश कर बास की शलाईयां और तुगं, शमालू के दल तैयार करके बुनाई की जाती है। तब धिल्ले, ओडकी, छाबी बनाई जाती है फिर किसानों को उचित मुल्य पर बेचते है