यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर देश के सभी सरकारी बैंकों के अलावा कुछ निजी व विदेशी बैंकों के तकरीबन 10 लाख कर्मचारी बुधवार से दो दिनों की हड़ताल पर हैं। वेतन में वृद्धि की मांग को लेकर बैंक कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं। विभिन्न राज्यों में इस हड़ताल का असर साफ दिखाई दे रहा है। सरकारी बैंकों और एटीएम पर ताले लग गए हैं, जिसकी वजह से लोगों को परेशानियों का सामने करना पड़ रहा है।
हिमाचल में भी बैंक कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। बैकों की इस हड़ताल से प्रदेश में 12000 करोड़ से अधिक लेन-देन प्रभावित हुआ है। प्रदेश में करीब 7500 बैंक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से बैकों में कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है।
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बैंक कर्मियों की यूनियनों के मांग पत्र निपटाने में हो रही देरी और वेतन बढ़ाने को लेकर किए जा रहे टालमटोल के चलते इन्होंने हड़ताल पर जाने का यह फैसला किया है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के हिमाचल संयोजक गोपाल शर्मा का कहना है कि केंद्र सरकार ने जहां अपने सरकारी कर्मचारियों के लिए 30 फीसदी बढ़ोतरी अगस्त माह से करने पर मुहर लगा दी है, वहीं बैंक कर्मियों को साल 2017 से देय वेतनमान नहीं दिया जा रहा।
उन्होंने कहा कि मात्र दो फीसदी की वेतन बढ़ोतरी देकर बैंक कर्मियों से घोर अन्याय किया जा रहा है। इसके चलते बैंक कर्मियों को मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि आईबीए द्वारा यूनियन को बातचीत के लिए बुलाया गया है और यदि इसमें उनकी मांगों को नहीं माना जाता तो आने वाले जून या जुलाई माह में फिर से बैंक कर्मी हड़ताल पर जा सकते हैं।
केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के चलते सरकारी क्षेत्र के 17 बैंकों को पिछली तिमाही में 60 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हो चुका है। ये बैंक आगे का काम चलाने के लिए सरकार से अतिरिक्त वित्तीय मदद मांग रहे हैं। ऐसे में दो दिनों की हड़ताल से इन पर वित्तीय दबाव और बढ़ सकता है। एनपीए वसूली जैसी गतिविधियों पर भी असर होगा।