धर्मशाला, 17 मई: भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से शुक्रवार को डीआरडीए, धर्मशाला के सभागार में विभिन्न सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी क्षेत्र के बैंकों और कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक के नकदी प्रबंधन कर्मचारियों के लिए जाली नोटों का पता लगाना, जब्त करना और रिपोर्टिंग और बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताओं पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।इस कार्यक्रम का उद्घाटन विवेक श्रीवास्तव, क्षेत्रीय निदेशक, आरबीआई, चंडीगढ़ द्वारा किया गया, जिसमें श्री पंकज सेतिया, महाप्रबंधक, आरबीआई, चंडीगढ़, विभिन्न बैंकों के आंचलिकएवं क्षेत्रीय कार्यालयों और आरबीआई, चंडीगढ़ के वरिष्ठ बैंक अधिकारी और कांगड़ा जिले के अग्रणी जिला प्रबंधक ने भाग लिया।
आरबीआई, चंडीगढ़ के महाप्रबंधक पंकज सेतिया ने, प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए, जाली नोटों का पता लगाने से संबंधित चुनौतियों, देश की अर्थव्यवस्था, समाज पर इसके प्रभाव और इस संबंध में बैंकरों द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में जानकारी दी। विवेक श्रीवास्तव, क्षेत्रीय निदेशक, आरबीआई, चंडीगढ़ ने अपने उद्बोधन में बैंकरों को जाली नोटों के संचलन का पता लगाने और उसे खत्म करने हेतु समन्वित प्रयासों के लिए प्रेरित किया।उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश जाली नोटों के संचलन पर लगाम लगाना और वैध नोटों को बाजार में बनाए रखना है।
उन्होंने बैंकर्स को इस संबंध में जनता के बीच आवश्यक जागरूकता फैलाने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि सार्वजनिक लेन-देन के दौरान कोई भी जाली नोट आने पर ग्राहकों को वापस न किया जाए। उन्होंने बैंकरों को सलाह दी कि वे आरबीआई द्वारा जारी निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार जाली नोटों का पता चलने पर उचित प्राधिकारी को रिपोर्ट करना सुनिश्चित करें। इसके अलावा, उन्होंने जाली नोटों का संचलन रोकने के लिए कानून का प्रवर्तन करनेवाली एजेंसियों की भूमिका को भी महत्वपूर्ण बताया। मुनीश खन्ना, संकाय, आरबीआई, चंडीगढ़ ने बाद में प्रत्यमक्ष निदर्शन द्वारा जाली नोटों की पहचान, जब्ती और रिपोर्टिंग और बैंक नोटों की सुरक्षा विशेषताओं पर विस्तृत मौजूदा दिशानिर्देशों और प्रक्रियाओं पर बैंकरों के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा की।