डीसी शिमला अमित कश्यप ने बरसात के मौसम में लोगों को स्क्रब टायफस से सचेत रहने का आह्वान किया है। इसके अलावा उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को इस रोग के लक्षण और उपचार बारे लोगों को जागरूक करने के निर्देश दिये। अमित कश्यप ने कहा कि यह रोग एक जीवाणु विशेष रिगटेशिया से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों से पनपता है। यह जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है, जो स्क्रब टायफस बुखार को पैदा करता है।
इस बीमारी से ग्रस्त रोगी को तेज बुखार कंपकंपी के साथ 104 से 105 डिग्री तक आ सकता है। जिससे शरीर में अकड़न, एंठन तथा शरीर टूटा हुआ लगता है। इस रोग के अधिक संक्रमण से रोगी की गर्दन, बाजूओं के नीचे, कूल्हों के उपर गिठलियां भी हो सकती हैं। इस बीमारी की रोकथाम के लिए खेतों और झाड़ियों में काम करते समय व्यक्ति को अपनी टांगे, पांव व बाजू ढककर रखने चाहिए। घरों के आसपास खरपतवार को उगने न दें तथा घर के भीतर और आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
उन्होंने बताया कि स्क्रब टायफस संक्रामक रोग नहीं है। इस मौसम में यदि किसी व्यक्ति को बुखार आए तो उसे तुरंत नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक से उपचार के लिए परामर्श लेना चाहिए। शिमला जिला के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में स्क्रब टायफस की जांच व उपचार निशुल्क की जाती है।