विभागीय स्तर पर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भले ही लाख दावे किए जा रहे हो, परंतु जमीनी हकीकत कुछ और ही है। जिला मंडी के संधोल के सिविल अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने के सरकार के दावे संधोल खोखले साबित हो रहे हैं। क्षेत्र की 15 पंचायतों की करीब बीस हजार की आबादी को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करवाने वाले नागरिक अस्पताल में एक ही चिकित्सक सेवाएं प्रदान कर रहा है। धर्मपुर विधानसभा से इस बार मंत्री ठाकुर महेंद्र सिंह और संधोल से पूर्व ओएसडी और नवनियुक्त उपाध्यक्ष संजीव कटवाल की जिम्मेवारी भी संधोल के प्रति गंभीर हो गई है।
अस्पताल में डाक्टर की नियुक्ति और रिक्त स्टाफ के पदों को भरने के लिए संधोल के लोग पहले भी पूर्व सरकार के खिलाफ संघर्ष कर चुके हैं। वहीं, हालिया चुनाव में भी लोगों ने बहिष्कार समिति का गठन कर चुनाव बहिष्कार किया था। ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले रूके विकास कार्य पुर्ण नहीं हुए तो बहिष्कार का प्रतिशत विधानसभा चुनाव से बढ़ सकता है।
अस्पताल में कई पद हैं खाली
खंड चिकित्सा अधिकारी विभागीय कार्य में व्यस्त रहते हैं। दवा के नाम पर रोगियों के हाथ लंबी पर्ची लगती है। मोजूदा समय में दो चिकित्सकों के पद, अधीक्षक का एक पद, कंप्यूटर ऑपरेटर का एक पद, चीफ फार्मासिस्ट का एक पद, रेडियोग्राफर का एक पद, सफाई कर्मियो के दो पद खाली हैं। ऐसे में लोगों को न अस्पताल में गंदगी से निजात मिल रही है न मरीजों को इलाज। बीते साल स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने यहां पर अल्ट्रासाउंड की सुविधा प्रदान करने का आश्वासन दिया था। लेकिन, अभी तक ये सुविधा नहीं मिल पाई है। एक्सरे तक की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।
सुविधाओं के नाम पर बस आश्वासन ही मिले
पिछले दो दशकों से अस्पताल के दर्जे के मुताबिक न बिस्तरों की क्षमता बड़ी न स्टाफ मिल पाया न अन्य सुविधाओं में इजाफा हुआ। अस्पताल में बढ़ती आबादी के हिसाब से बोझ तो बढ़ा, लेकिन सुविधाओं के नाम पर बस आश्वासन ही मिले। ऐसे में लोगों को पालमपुर, हमीरपुर, टांडा या कांगड़ा का रुख करना पड़ता है। वहीं, जब खंड चिकित्सा अधिकारी रमेश चंद से बात की गई तो उन्होंने बताया की अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के बारे में उच्च अधिकारियों को कई बार अवगत करवा चुकें हैं, लेकिन अभी तक कोई सार्थक परिणाम नहीं निकले हैं।