राज कुमार
Himachal Pottery Art: हमीरपुर जिले के नौहंगी क्षेत्र के भोलू राम पिछले 50 वर्षों से चाक पर मिट्टी के बर्तन बनाकर पुरातन कला को संजोने का कार्य कर रहे हैं। 24 साल की उम्र से ही वह इस कला में दक्ष हो गए थे और तब से लेकर आज तक वह मिट्टी से बर्तन बना रहे हैं। भोलू राम ने बताया कि त्यौहारों, खासकर करवाचौथ के समय, वह सुबह चार बजे से काम शुरू कर देते हैं ताकि मिट्टी के बर्तन समय पर तैयार हो सकें।
भोलू राम का कहना है कि करवाचौथ के लिए उन्होंने विशेष तौर पर आकर्षक मिट्टी के करवे और दिए तैयार किए हैं, जिन्हें बाजार में काफी पसंद किया जा रहा है। वह नादौन और गलोड़ क्षेत्र से एक विशेष प्रकार की मिट्टी लाते हैं, जिसके लिए कई बार पैसे का भुगतान करना पड़ता है और कभी-कभी मिट्टी के बदले मिट्टी का ही आदान-प्रदान होता है।
उन्होंने बताया कि मिट्टी से बर्तन बनाने की इस कला को आगे बढ़ाने में नई पीढ़ी की रुचि नहीं है, क्योंकि इसमें मेहनत अधिक है और समय की मांग बहुत ज्यादा होती है। भोलू राम ने यह भी कहा कि पिछले 40-45 वर्षों से वह हमीरपुर के बाजारों में मिट्टी के बर्तन बेच रहे हैं, लेकिन आधुनिकता और नए सामानों के चलते इस कला को सहेजने की चुनौतियां बढ़ गई हैं।
भोलू राम ने क्षेत्र में एकमात्र बर्तन बनाने वाले कुम्हार होने का दावा करते हुए कहा कि उन्होंने अब तक इस कला को जीवित रखा है, परंतु नई पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं दिखा रही है। इस कारण यह पुरातन कला विलुप्ति की कगार पर है।