कांगड़ा केंद्रीय सहकारी (केसीसी) बैंक सीमित की बांचों के प्रबंधकों द्वारा लोन की रिकवरी पर ध्यान न देने के चलते बैंक का एनपीए और बढ़ सकता है और ये 22 से भी अधिक जा सकता है। जानकारी के अनुसार के सीसीबी बैंक की ब्राचों के प्रबंधकों द्वारा उपभोक्ताओं को लोन तो दे दिया गया लेकिन रिकवरी लम्बे समय पर नहीं की गई।
हालांकि बैंक प्रबंधक निदेशक के अनुसार करीब 25 करोड़ की रिकवरी कर बैंक प्रबंधन एनपीए को 16.25 से 14.9 तक लाने में सफल रहा है, लेकिन प्रबंधन के धरातल पर मामले खंगालने की प्रक्रिया शुरू होने से कई और मामले उजागर होने की संभावना है जोकि एनपीए में दर्ज ही नहीं हुए हैं।
बैंक के एमडी के अनुसार 31 मार्च, 2017 तक बैलेंस सीट के मुताबिक केसीसी बैंक में एनपीए के तहत 16,194 खाते थे, जिनमें 584 करोड़ रुपए रिकवरी के रूप में फंसा हुआ था। अब वर्तमान में 14,761 खाते ऐसे रह गए हैं, जिनमें बैंक प्रबंधन ने लगभग 559 करोड़ रुपए की रिकवरी करनी है।
रिकवरी की रिपोर्ट समय-समय पर बैंक के पास पहुंचे, इसके लिए बैंक के 19 जोनों में मुख्यालय ने स्वयं मोर्चा संभाल लिया है और बाकायदा एजीएम और डीजीएम सहित उच्चाधिकारियों को 2-2 जोन आबंटित किए गए हैं, जो हर 15 दिन के भीतर शाखा मैनेजर के साथ रिकवरी अधिकारियों से बैठक कर रहे हैं।
क्या है एनपीए और ओवर ड्यूज
बैंकों में एनपीए का अर्थ है कि नॉन प्रफॉरमिंग एसेट यानी कुछ ऋण वापस नहीं आ रहे हैं। अब इन ऋणों से बैंक को कोई आमदनी नहीं होगी। ऋण की रिकवरी पसोपेश में पड़ गई है।
जब किसी ऋणदाता की तीन से ज्यादा किश्तें लंबित हो जाएं तो उस ऋण को एनपीए में दर्शा दिया जाता है। वहीं, बैंक ने अपने ऋणदाताओं से कितना पैसा लेना है इसके लिए ओवर ड्यूज का डाटा रखा जाता है। यानी, ऋणों की सभी बकाया किश्तें ओवर ड्यूज के अंतर्गत दर्शाई जाती हैं।
मामले छुपाने वाले अधिकारियों पर गिर सकती है गाज
केसीसी बैंक में एनपीए मामले छुपाने वाले अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है। मौजूदा समय में बैंक प्रबंधन धरातल स्तर पर छानबीन में जुट गया है और मुख्यालय के अधिकारियों को बाकायदा जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। सभी बैंक अधिकारियों को एनपीए की पूरी जानकारी 15 मार्च तक प्रबंधन को मुहैया करवाने के निर्देश दिए हैं।