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नई शिक्षा नीति के लिए शिमला के भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान से बड़ी उम्मीद

पी. चंद, शिमला |

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडी  अपनी स्थापना की  55वी वर्षगांठ मना रहा है। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की 55वी वर्षगांठ पर एक बेबीनार का आयोजन किया। जिसमें नई शिक्षा नीति पर शिक्षा जगत के विद्वानों ने रखे अपने अपने अपने विचार रखे। शिक्षा मंत्री निंशंक पोखरियाल ने बेबीनार के माध्यम से कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत  3 वर्ष से शिक्षा शुरू होगी। विद्यार्थियों को क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाया जाएगा। अब विद्यार्थियों को "रिजल्ट कार्ड नहीं बल्कि प्रोग्रेस कार्ड" दिया जाएगा।  अनुसंधान में " पेटेंट भी करेंगे टैलेंट" भी देखेंगे। निशंक ने कहा कि नई शिक्षा नीति में उनका "नेशन फर्स्ट करेक्टर वेस्ट" पर जोर रहेगा।  जिसमें भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो मकरंद आर परांजपे  ने बताया कि नई शिक्षा नीति तमाम परिवर्तनों के साथ लाई गई है। 21 शताब्दी ज्ञान की सदी के रूप में सामने आएगी। इस संस्थान से देश को बहुत बड़ी आशाएं है। इस संस्थान में 2 लाख लेखों को संजो कर रखा गया है। जिनको डिजिटल कर दुनिया में पहुंचाया जाएगा।  दुनिया के 127 विश्वविद्यालयों के साथ जुड़े हुए है उनके साथ मिलकर शोध करेंगे। संस्थान में अमेरिकन शोधार्थी पाणिनि की अष्टध्यायी पर शोध कर रहे है। ऐसी तमाम चीजें है जो नई शिक्षा नीति के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है। कारोना के चलते बन्द पड़े इस संस्थान को जल्द ही पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा।

1947 भारत की आज़ादी के बाद इसे राष्ट्रपति निवास बनाया गया। लेकिन बाद में यानी कि 20 अक्तूबर, 1965 को इस भवन को भारतीय उच्च अध्यन संस्थान के रूप में स्थापित कर दिया गया। राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस ईमारत को भारतीय उच्च अध्यन संस्थान का दर्जा दिया था। एडवांस स्टडी शोधकर्ताओं के लिए ही नहीं बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षक का केंद्र है। भारत के विभाजन का दर्द भी इस भवन से जुड़ा था। संस्थान का 67 करोड़ से पहली बार होगा जीर्णोद्धार भी हो रहा है।