जिला बिलासपुर के स्वारघाट उपमंडल के भाखड़ा विस्थापितों के 5 गांव आज भी सड़क और चिकित्सा सुविधा से महरुम हैं। भटेड़, चिल्ट, बेरियला, डडोह और कनफारा के गांववासियों ने इस बार चुनावों के बहिष्कार का फैसला किया है। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को पानी और बिजली देने वाले भाखड़ा विस्थापित खुद सड़क और चिकित्सा सुविधा से मेहरूम हैं। गांव वासियों का कहना है कि पिछले साल 2018 में सड़क की खस्ताहाल से समय पर चिकित्सा सुविधा मिलने से पांच ग्रामीणों की मौत हो गई। गांव में अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे पलंग पर लेटा कर हॉस्पिटल पहुंचाना पड़ता है।
बरसात के मौसम में छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाते हैं तो सड़क में कीचड़ में उनके कपड़े, स्कूल बैग और पैर खराब हो जाते हैं कई बार तो उन्हें ठंड के मौसम में भी नंगे पांव ही सड़क पार करनी पड़ती है। स्कूली बच्चों की फरवरी महीने में बारिश के दौरान की तस्वीरें भी आपको दिखाएंगे जो सोशल मिडिया पर वायरल हुई हैं। अगर 2 दिन बारिश हो जाए तो सड़क कीचड़ से भर जाती है और कैसे छोटे-छोटे बच्चों के जूतों में जब कीचड़ भर जाता है।
इन 5 गांव के ग्रामीणों का कहना है कि इस बार मतदान का बहिष्कार करेंगे क्योंकि हर बार नेता लोग चुनावों के समय में आते हैं और वादे करने के बाद लॉलीपॉप दे जाते हैं। इस बार वह किसी भी झांसे में आने वाले नहीं हैं। गांव के निवासी नंदकिशोर का कहना है कि अगर रात के समय कोई मरीज बीमार हो जाए तो उसे कंधों पर उठाकर श्री नैना देवी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना पड़ता है।
10 किलोमीटर लंबा सफर मरीज के लिए काफी दुखदाई रहता है और कई बार तो पहुंचते-पहुंचते मरीज की जान भी चली जाती है। नंदकिशोर का यह भी कहना है कि अगर कोई नेता लिखित रूप में वादा करेगा कि उनके गांव को सड़क और प्राथमिक चिकित्सा केंद्र प्रदान किया जाएगा तो वह मतदान करने पर विचार कर सकते हैं अन्यथा पूरे गांव मतदार का बहिष्कार करेंगे।